लखनऊ। जिले में अभी भी 58 कुष्ठ रोगी हैं जिनका इलाज स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। यह आंकड़ा जिले में 15 से 28 फरवरी तक चलाये गए कुष्ठ रोग खोजी अभियान में सामने आई है। डॉ. शोमित सिंह ने कहा कि इस बीमारी का पूर्णतया इलाज संभव है और व्यक्ति एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में इसका इलाज मुफ्त होता है।
यहां हुई है मरीजों की पहचान
जिला कुष्ठ परामर्शदाता डॉ. शोमित सिंह ने बताया कि अभियान में कुुल 1650 केस संदिग्ध पाये गए थे जिसमें 58 व्यक्ति कुष्ठ रोग से ग्रस्त मिले और सभी वयस्क हैं। इन 58 में 26 रोगी मल्टीबैसिलरी व 32 रोगी पासीबैसिलरी से ग्रस्त हैं। सबसे अधिक मलिहाबाद में 12, चिनहट में 7, माल में 6, बक्शी का तालाब में 6, मोहनलालगंज में 4, इटौंजा में 4, गोसाईंगंज में 3, काकोरी में 2, सरोजिनीनगर में 2, अलीगंज में 2, ऐशबाग में 2, एन.के.रोड में 2, रेड क्रॉस में 2, सिल्वर जुबली में 2, टुडिय़ागंज व चंदननगर शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 1-1 रोगी की पहचान की गयी है।
यह होता है कुष्ठ रोग
यह माइकोबैक्टीरियाम लेप्री के कारण फैलता है और बहुत ही कम संक्रामक होता है। यह प्रमुख रूप से तंत्रिकाओं व चमड़ी को प्रभावित करता है। यह किसी भी आयु में स्त्री व पुरुष को हो सकता है। यह रोग धीरे धीरे बढ़ता है तथा औसतन तीन वर्ष में इसके लक्षण दिखाई देते हैं।
यह मुख्यत: दो प्रकार का होता है
पौसीबैसिलरी : अगर व्यक्ति के शरीर में 5 या 5 से कम धब्बे होते हैं और जहां त्वचा कि संवेदना समाप्त हो जाती है।
मल्टीबैसिलरी : शरीर में 5 धब्बों से अधिक धब्बों का होना। जहां त्वचा कि संवेदन समाप्त होती है और यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
अगर ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क
त्वचा पर दाग व दाग में सुन्नता हो, दाग में जलन, चुभन, आंखों में कमजोरी, नसों में सूजन, मोटापन, या दर्द, चेहरे शरीर और कान पर गांठें, छाले और घाव जिसमें दर्द न हो, तथा हाथ व पैरों में विकृति होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।