गोरखपुर। उत्तर प्रदेश सरकार फोरेंसिक युनिवर्सिटी बनाने की योजना तैयार कर रही है। जिसको अमली जामा पहनाने के लिए 13 दिसंबर को लखनऊ में शासन स्तर बैठक होने जा रही है। सूत्रों के अनुसार गोरखपुर उस रेस में सबसे आगे है ।
बी-क्लास फोरेंसिक लैब को दी थी मंजूरी
गोरखपुर में शासन ने 33 करोड़ की लागत से बनने वाली बी-क्लास फोरेंसिक लैब को मंजूरी दी थी। जिला अस्पताल के समीप पुरानी जेल परिसर में उसका निर्माण तेजी से चल रहा है। इसी दौरान शासन ने उसे अपग्रेड करते हुए 70 करोड़ से ए.क्लास फोरेंसिक लैब में परिवर्तित कर दिया लेकिन इसके लिए एक एकड़ जमीन कम पड़ रही है। जिसकी तलाश में विभाग जुटा हुआ है। वैसे विभाग के अधिकारी निर्माण स्थल के पास ही बगल में स्थित दूसरे विभागो की जमीन पर नजर गड़ाये हुए है।
13 दिसंबर को लखनऊ में होगी बैठक
विभागीय अधिकारियों की माने तो शासन फोरेंसिक युनिवर्सिटी बनाने की योजना पर काम कर रही है। जिसको लेकर आगामी 13 दिसंबर को लखनऊ में शासन स्तर बैठक होगी। जिसमें शहर के संसाधनो की उपलब्धता के हिसाब युनिर्वसिटी बनाने की अंतिम मुहर लगेगी। सूत्रो की माने तो फोरेंसिक युनिवर्सिटी की रेस में गोरखपुर सबसे आगे है। बात किसी के वास्तविक पहचान की हो या फिर अपराधियों को पकडऩे कीए एक फॉरेंसिक साइंटिस्ट हर जगह अपनी अहम भूमिका निभाता है।
एक्सपर्ट की मांग में भारी उछाल
दुनिया भर में बढ़ रहे क्राइम के ग्राफ ने इसके एक्सपर्ट की मांग में भारी उछाल ला दिया है। चूंकि यह पूरी तरह साइंस की रिसर्च वाली फील्ड है, इसलिए साइंटिस्ट, स्कॉलर्स और रिसर्चरों को भी यह खूब भा रहा हैए पर इस फील्ड में एंट्रेस से पहले कुछ अहम बातों पर गौर करना जरूरी है। फॉरेंसिक साइंस का यूज क्रिमिनल की खोज करने के लिए किया जाता है। कभी.कभी तो ये ही डीएनए जांच के द्वारा दो बिछुड़ों को मिलाता भी है। अहम बात यह है कि अब इसमें काफी नई टेक्नोलॉजी का यूज भी होने लगा है। इसके एक्सपर्ट क्राइम स्पॉट से प्रूव इक_ा करते हैं और फिर उन्हें सबूत के रूप में कोर्ट में पेश किया जाता है, ताकि कानून का राज कायम रहे।