लखनऊ। भारत में दूध काफी हद तक सुरक्षित है, लेकिन इसकी गुणवत्ता का मुद्दा कायम है। यह बात हम नहीं भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है। एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा कि यह सर्वेक्षण हमें देश में दूध की सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक ठोस आधार उपलब्ध कराता है।
गुणवत्ता की चिंता को लेकर जागरुकता अभियान चलाकर और प्राथमिक उत्पादन स्तर पर लोगों को शिक्षित कर आने वाले समय में दूर किए जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय दुग्ध गुणवत्ता सर्वे, 2018 नमूनों (6,432) से मानकों के आधार पर यह अब तक दूध पर सबसे बड़ा अध्ययन है। इस सर्वेक्षण में 90 प्रतिशत से अधिक नमूने सुरक्षित पाए गए।
सर्वे एजेंसी के अत्याधुनिक लैब में किया विश्लेषण
सुरक्षा मानकों के लिहाज से विफल रहे करीब एक तिहाई नमूनों का सर्वे एजेंसी के अत्याधुनिक लैब में विश्लेषण किया गया। यह सर्वेक्षण मई से अक्टूबर 2018 के बीच छह महीने की अवधि में किया गया। इस दौरान 6,432 मानकों में से 41 प्रतिशत नमूने प्रसंस्कृत दूध और शेष 59 प्रतिशत नमूने कच्चा दूध के लिए गए। प्रसंस्कृत दूध में 60 प्रतिशत टोंड मिल्क, 20 प्रतिशत फुल क्रीम दूध, 15 प्रतिशत स्टैंडर्ड मिल्क और 5 प्रतिशत डबल टोंड मिल्क के थे।
कच्चा दूध में एक तिहाई दूध गाय, एक तिहाई भैंस और एक तिहाई मिलाजुला दूध के थे। इस सर्वेक्षण में केवल तरल दूध को शामिल किया गया था। पवन अग्रवाल ने कहा कि सर्वेक्षण की ड्राफ्ट रिपोर्ट जल्द ही सभी भागीदारों के साथ साझा की जाएगी और इसके बाद देश में दूध की गुणवत्ता में और सुधार लाने के लिए रोकथाम और सुधार की कार्रवाई की जाएगी।