लखनऊ। एशिया पेसिफिक एसो. ऑफ पीडियाट्रिक यूरोलोजिस्ट्स की 20वीं बैठक मे΄ तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया। भारत में पहली बार आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन का आयोजन अपोलो इन्स्टीट्यूट ऑफ पीडियाट्रिक साइंसेज द्वारा किया गया। सम्मेलन में 20 से अधिक देशों यूएस यूके सार्क देशों एवं एशिया पेसिफिक देशों से 320 से अधिक प्रतिनिधियो΄ ने हिस्सा लिया।
उपचार की नई तकनीकों पर चर्चा
कार्यक्रम में पीडियाट्रिक यूरोलोजी के क्षेत्र में हुए नए विकास कार्यों पर प्रेजेंटेशंस दी गईं तथा विस्तार से चर्चा की गई। प्रतिनिधियों ने उपचार की नई तकनीकों पर चर्चा कर अनूठी केस स्टडीज और चिकित्सकीय दस्तावेज पेश किए। विशेषज्ञों ने 100 से ज्याादा मामलों का मूल्यांकन किया जिनका लम्बे समय सेफॉलो अप चल रहा है। प्रतिनिधियों को आधुनिक रोबोटिक प्लेटफॉर्म दाविसीजी एवं लैप्रोस्कोपिक सिमुलेटर के बारे में जानने और इसे अनुभव करने का मौका मिला।
रोबोटिक एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जरी पर वैटलैब ट्रेनिंग का आयोजन
मौजूदा परिवेश में पीडियाट्रिक रोबोटिक सर्जरी से जुड़े मिथकों एवं तथ्यों पर प्री. कॉन्फ्रेंस सीएमई का आयोजन भी किया गया। मीटिंग की शुरुआत इंटरनेशन चिल्ड्रंस कॉन्टीनेन्स सोसाइटी द्वारा पीडियाट्रिक यूरोडायनामिस एन्यूरेसिस और इन्कन्टीनेन्स पर पेश किए सेर्टिफाइड कोर्स के साथ हुई। इसके बाद गुरूग्राम के वल्र्ड लैप्रोस्कोपिक हॉस्पिटल मे΄ रोबोटिक एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जरी पर वैटलैब ट्रेनिंग का आयोजन किया।
इस कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने रोबोटिक सर्जरी पर प्रशिक्षण दिया तथा लैडर डिसऑर्डर के प्रबन्धन पर भी विचार प्रस्तुत किए। डॉ. सुजीत चौधरी कंलटेन्ट पीडियाट्रिक यूरोलोजिस्ट डायरेटर पीडियाट्रिक साइन्सेज इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स एवं आयोजक चेयरमैन, एपीएपीयू ने कहा कि यह देखकर अच्छा लगता है कि हमें इस कार्यक्रम के लिए दुनियाभर के चिकित्सा पेशेवरों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।