लखनऊ। बच्चा अगर बार-बार आंख मीचता है। पलक झपकाता है या फिर उसे सही से दिखाई नहीं देता है तो भेंगापन का शिकार हो सकता है। बच्चों में भेंगापन की बीमारी का सही समय पर पता चलना जरूरी है। तभी इसका पूरी तरह से इलाज संभव है। भेंगापन को आंखों का तिरछापन भी कहते हैं। अगर इस का समय पर पता न चले और इलाज न कराया जाए, तो बाद में इसका पूरी तरह ठीक होना मुश्किल भरा हो सकता है।
किसी भी उम्र में भेंगापन
यह जानकारी केजीएमयू के ऑप्थैमोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो.विनीता सिंह ने दी। वह केजीएमयू के ऑप्थैमोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेंट्रलजोन पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के पहले दिन पीजी स्टूडेंट को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि आंखों का भेंगापन किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन इस बीमारी का पता शुरू में ही चल जाए, तो इलाज आसान हो जाता है।
यह खास बात
जब कभी आंख में चोट लगे या फिर एक समय पर एक चीज के दो इमेज दिखाई दें, तो डाक्टर को एक बार आंख दिखाकर उस का चैकअप जरूर करा लेना चाहिए। छोटे बच्चों में इस बात का पता आसानी से नहीं लगता, इसलिए मातापिता को जागरूक रहने की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा कि जब भी बच्चा पढऩे से जी चुराए या उस की आंखों में पानी आए और वह टैलीविजन देखते या पढ़ते समय आंख पर ज्यादा जोर देता हो, तो उसे नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जरूर ले जायें।
सही इस्तेमाल के गुर सिखाये
इसके अलावा प्रो.विनीता सिंह ने दिल्ली,उत्तर प्रदेश,राजस्थान व मध्य प्रदेश से आये करीब 120 पीजी स्टूडेंट को बच्चों के भेंगापन तथा आंख से संबंधित अन्य बीमारियों की पहचान व गुणवत्तापूर्ण इलाज के दौरान उपकरणों के सही इस्तेमाल के गुर सिखाये। इस अवसर पर डा. अरून शर्मा समेत विभाग के अन्य चिकित्सक उपस्थित रहे।