लखनऊ। एनर्जी ड्रिंक्स के नाम पर मल्टी नेशनल कंपनियां सिर्फ ग्लूकोज, विटामिन और कैफीन मिला पानी बेच रही हैं। एल्यूमिनियम के डिजाइनर कैन में आकर्षक नामों से बिक रहे इन ड्रिंक्स में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे एनर्जी के नाम पर पिया जा सके। 40 से 50 मिलीग्राम कैलोरी देने का दावा करने वाले इन ड्रिंक्स में कार्बोहाइड्रेट सिर्फ 10 मिलीग्राम होता है। जबकि कैफीन 40 से 80 मिलीग्राम। बाजार में कोल्ड ड्रिंक्स की तरह बिक रहे इन एनर्जी ड्रिंक्स के नाम पर नशे का करोबार किया जा रहा है।
एक्स्ट्रा एनर्जी के नाम पर युवाओं को छला जा रहा है। खासतौर से युवा वर्ग की पसंद बने नीले, भूरे, काले और लाल डिजाइनर एल्यूमिनियम कैन में बिकने वाले एनर्जी ड्रिंक्स में सुगर और कैफीन ही पिलायी जा रही है। जो क्षणिक शक्ति की अनुभूति करा देते हैं। केजीएमयू के तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ प्रो.आर.के.गर्ग बताते हैं कि कैफीन मस्तिष्क केन्यूरॉन को उत्तेजित करता है। ब्लड प्रेशर बढ़ता है इससे ज्यादा रक्त और ऑक्सीजन वहां पहुंच जाता है। इसे ही शक्ति बढऩा समझा जाता है। जबकि ये उस विशेष ड्रिंक्स का आदी बनाता है।
लुभा रहा डिजाइनर कैन में बिक रहा कैफीन, टौरीन और चीनी का घोल
न्यूट्रीशन एक्सपर्ट बताते हैं कि एनर्जी ड्रिंक्स सॉफ्ट ड्रिंक्स और फ्रूट जूस से अलग हैं। आमतौर सॉफ्ट ड्रिंक्स में पानी, चीनी, सोडा और अलग-अलग फ्लेवर इस्तेमाल किए जाते हैं। स्पोट्र्स ड्रिंक्स में पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे चीनी, नमक आदि मिला होता है जो खेल के दौरान उनके शरीर से निकले इन पदार्थों की पूर्ति कर देते हैं। जबकि एनर्जी ड्रिंक्स में कैफीन मिलाकर ताकत और प्रदर्शन बढ़ाने का दावा किया जाता है। एनर्जी ड्रिंक्स में मिला कैफीन उतनी ही शक्ति देती है जितना आमतौर पर आधा कप काफी पीने से मिल जाता है। न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार एक कप कॉफी में 80 मिलीग्राम कैफीन होती है। जबकि एनर्जी ड्रिंक्स में 40 से 50 मिलीग्राम कैफीन होती है। कुछ कंपनियां अपने उत्पाद में जिनसेंग भी मिलाती हैं।
ये भी होता है एनर्जी ड्रिंक्स में
कैफीन- ये उत्प्रेरक का कार्य करता है जो दिल की धड़कन को बढ़ाता है। दुष्प्रभाव के रूप में इससे नींद न आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी हो सकती है।
एफीड्रीन-ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। ये वजन घटाने का दावा करने वाले उत्पादों में मिलाया जाता है। लेकिन इसका दुष्प्रभाव दिल पर पड़ता है।
टौरीन- ये प्राकृतिक अमीनो एसिड है जो शरीर में ही पैदा होता है। ये दिल की धड़कनों को रेगुलेट और मांसपेशियों में सिकुडऩ पैदा करता है।
जिनसेंग-ये एक आयुर्वेदिक जड़ी है। जो कई तरह के औषधीय गुण रखती है। ये जड़ी तनाव को कम करती है और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाती है।
विटामिन बी-ये सुगर को ऊर्जा में बदलता है और मांसपेशियों को मजबूत करता है।
कार्निटीन- ये अमीनो एसिड है जो वसा को पचाने में मदद करता है।
क्रिएटीन- एक आर्गेनिक एसिड है जो मांसपेशियों को सिकुडऩे में मदद करता है।
आइनोसिटाल-विटामिन बी कॉ प्लैक्स समूह का ये विटामिन कोशिकाओं को संदेश पहुंचाने में मदद करता है।
जिंकगो बिलोबा-ये जिंकगो बिलोब नाम के पेड़ का बीज होता है और याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है।
कई देशों में है बैन
कैफीन युक्त एनर्जी ड्रिंक्स के कारण पेशाब अधिक होता है। इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक्सरसाइज केसाथ-साथ या बाद में इस तरह के पेय पदार्थ पीना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। 2000 में फ्रांस सरकार ने एक चर्चित ड्रिंक की बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया था। क्योंकि इसके कारण १८ साल केएक छात्र की मात्र हो गई थी। जांच में पाया गया था कि कैफीन की अधिक मात्रा के कारण ही ऐसी स्थितियां बनी थी।
जिससे छात्र की मौत हुई। कैलीफोर्निया में 2001 में एफीड्रीन युक्त एनर्जी ड्रिंक्स पीने से दो छात्रों की जान जोखिम में पड़ गई थी। डेनमार्कऔर नार्वे ने भी इस तरह के ड्रिंक्स को अपने देश में प्रतिबंधित कर रखा है। कनाडा में इन पेय पदार्थों को चेतावनी की सूचना के साथ बेचने की अनुमति दी गई है।
गर्भवती और बच्चों के लिए नुकसानदेय
चिकित्सकों के अनुसार कैफीनयुक्त पेय पदार्थ गर्भवती, ऐसी महिलाएं जो शिशुओं को दूध पिलाती हों उनके के लिए नुकसानदेय हैं। बच्चों के लिए भी इन एनर्जी ड्रिंक्स को वर्जित किया गया है। इन्हें पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
बाजार में उपलब्ध एनर्जी ड्रिंक्स
रेड बुल, क्यूबा, केएस, रेस्टलेस, मोनेस्टर, एनओएस
ऐसे करें कैलोरी की गणना
एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट- 4 कैलोरी
एक ग्राम प्रोटीन – 4 कैलोरी
एक ग्राम फैट -9 कैलोरी
कितनी एनर्जी देते हैं ये ड्रिंक्स
प्रोटीन – 0
फैट -0
सुगर- 10.8 ग्राम/100 मिलीली.
कार्बोहाइड्रेट-10 .8 ग्राम/100 मिलीली.
नींबू, पानी, चीनी, नमक का घोल ज्यादा कारगर
एनर्जी ड्रिंक्स अधिकतर गर्मियों में इस्तेमाल किए जाते हैं। शरीर में सोडियम, पोटेशियम की कमी के कारण जब सुस्ती महसूस होती है तो इसकी जरूरत पड़ती है। कैफीन मस्तिष्क को उत्तेजित करती है इसलिए व्यक्ति इसका आदी हो जाता है। इसलिए बार-बार उसे पीता है। डिब्बा बंद प्रिजर्वेटिव वाले एनर्जी ड्रिंक्स की जगह देसी पेय पदार्थ नींबू, पानी, चीनी, नमक का घोल शरीर को ऊर्जा देने में ज्यादा कारगर हैं।
ये सुरक्षित भी हैं और शरीर पर इसका दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है। इसकेअलावा आम का पना और मठ्ठïा ऐसे एनर्जी ड्रिंक्स हैं जो बिना कैलोरी के शरीर को ऊर्जा दे सकते हैं। बिना प्रिजर्वेटिव के फलों के रस भी शरीर को चुस्ती-फुर्ती देने के लिए पिया जा सकता है।
- निरुपमा सिंह, न्यूट्रीशनिस्ट, एसजीपीजीआई
देसी विकल्पों की नहीं है कमी
कैफीन तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। इससे मस्तिष्क कुछ देर के लिए आराम महसूस करता है। दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसे ही व्यक्ति एनर्जी समझता है। धीरे-धीरे इसकी लोगों को आदत पड़ जाती है। जबकि एनर्जी के लिए फल और उससे बने शेक या जूस भी उतने ही कारगर हैं। केला और व्हीट ग्रास का शेक, नारियल पानी, गाजर और पासले का जूस, ग्रीन टी, ग्रीट यूगर्ट और किनोवा का रस भी एनर्जी देता है। इन सब में कोई भी प्रिजर्वेटिव नहीं होता है। इससे इनका शरीर पर दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता।
सचिन सिंह, डायटीशियन