लखनऊ। सोमवार को पहले से तय कार्यक्रम के तहत लोहिया अस्पताल के कर्मचारियों ने दो घंटे कार्य बहिष्कार किया। इससे यहां आए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। डॉक्टर और दवा दोनों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
कर्मचारियों की मांग
कर्मचारियों की मांग है कि उन सभी लोगों को नियम को शिथिल करते हुए तुरंत लोहिया संस्थान में समायोजित कर दिया जाए। नई भर्तियों से ही संस्थान अपने नियमों को लागू करे। जांचें नहीं हो सकीलोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के बैनर तले सभी संवर्ग के कर्मचारियों ने परिसर में सुबह आठ से 10 बजे तक काम नहीं किया। इससे मरीजों को पर्चे बनवाने, जांच शुल्क जमा करने, ओपीडी से लेकर वार्ड तक में इलाज मिलने में दिक्कत का सामना करना पड़ा।
नर्सिंग स्टेशन खाली
खून की जांच, एक्सरे, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मरीज घंटों बैठे रहे। वार्ड के तो मरीज सुबह जांच के लिए पहुंच ही नहीं सके। क्योंकि वार्ड के नर्सिंग स्टेशन खाली पड़े थे। यहां नर्सों की जगह पर संविदा वार्ड आया, सफाई कर्मी मरीजों की फाइल, दवा-पट्टी कर रहे थे। दवा, इंजेक्शन के लिए परेशानी स्थायी कर्मचारियों के न होने से काउंटर पर दवा वितरित कर रहे प्रशिक्षु फार्मासिस्टों को भी दिक्कत झेलनी पड़ी। ज्यादातर प्रशिक्षु डॉक्टर के लिखे पर्चे की लिखावट नहीं समझ सके। इन प्रशिक्षुओं ने मरीजों से उनकी बीमारी पूछकर दवा देने का प्रयास किया। इस वजह से कई मरीजों को तो प्रशिक्षु फार्मासिस्टों ने बाद में आकर दवा लेने को कहा।
इन्होंने यह कहा
इंजेक्शन, प्लास्टर और फिजियोथेरेपी के लिए भी मरीज भटकते रहे। मोर्चा के अध्यक्ष डीडी त्रिपाठी व उपाध्यक्ष प्रशासन अनिल चौधरी का कहना है कि विलय के बाद गैर शैक्षणिक कर्मचारियों, पैरामेडिकल स्टाफ की वरिष्ठता संबंधी विवादों को सुलझाने के लिए संस्थान में दो अधिष्ठान नीति लागू की जाए। दोनों संवर्ग की अपनी ज्येष्ठता होगी। आरोप है कि शासन के अफसर जानबूझकर विलय प्रक्रिया को उलझाऊ बना रहे हैं, जबकि कर्मचारियों की साधारण मांग को पूरा न करके आंदोलन के लिए बाध्य किया जा रहा है।