लखनऊ। वेतन विसंगति और कैडर पुनर्गठन जैसी मांगों के पूरा नहीं होने पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारियों ने नाराजगी व्यक्त की है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि 8 अक्टूबर 2018 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में परिषद के साथ सम्पन्न हुई बैठक में वेतन विसंगति व कैडर पुनर्गठन के सम्बंध में सहमति बनी थी कि वित्त विभाग द्वारा एक माह में सभी औपचारिकता पूर्ण कर मंत्रिपरिषद से अनुमोदन के बाद शासनादेश निर्गत किये जायेंगे जिसमें वित्त विभाग भी उपस्थित था। अब कर्मचारियों के सब्र की सीमा समाप्त हो रही है इसलिए प्रदेश में कार्यरत सभी कर्मचारी परिषद द्वारा घोषित आंदोलन में सहभागिता करते हुए 21 नवंबर को सभी जिलों में मशाल जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
कर्मचारियों का मनोबल कमजोर हो रहा
अतुल मिश्रा ने बताया कि फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, आप्टोमेट्रिस्ट, प्रयोगशाला सहायक, बेसिक हेल्थ वर्कर, गन्ना पर्यवेक्षक, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी, वन दरोगा, वन रक्षक, ट्यूबवेल टेक्नीशियन, नलकूप चालक, सींच पाल, सींच पर्यवेक्षक, राजस्व अधिकारी, चकबंदी लेखपाल, रोडवेज के विभिन्न संवर्ग, अधीनस्थ कृषि सेवा के कर्मचारी, एक्स रे टेक्नीशियन, डेन्टल हाइजिनिस्ट, राजस्व लेखपाल आदि संवर्ग की वेतन विसंगति के संबंध में राज्य वेतन समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को 2 साल पहले प्रस्तुत की जा चुकी है परंतु अभी तक उस पर निर्णय कर शासनादेश निर्गत ना किए जाने से कर्मचारियों का मनोबल कमजोर हो रहा है।
उच्च पदों का सृजन नहीं
पदों का सृजन सहित सभी संवर्गों के पदों के पुनर्गठन न होने के कारण विभिन्न संवर्गों के उच्च पदों पर पदोन्नतियां नहीं हो पा रही है, मूल पद रिक्त पड़े हुए हैं, जिन पर नियुक्तियां ना होने से जनता को उचित स्वास्थ्य, परिवहन, ग्राम विकास, ग्राम पंचायत, समाज कल्याण, कृषि, वन, सिंचाई आदि विभागों के कर्मचारियों को सुविधाएं देने में परेशानियां हो रही हैं। विभागों में पुनर्गठन ना होने से उच्च पदों का सृजन नहीं हो रहा है। विभागों में मानक के आधार पर पद सृजित नहीं है, अनेक पद मानक के अनुरूप नहीं हैं। जो पद सृजित हैं उन पर भी नियुक्तियां नहीं हो रही है। पदों पर स्थाई नियुक्तियों की जगह संविदा और आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य को लिया जाना जनहित में नहीं है। संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मियों का भी भविष्य अंधकार मय है।
21 नवंबर को मशाल जुलूस
आज शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा यह बताया जा रहा है कि वित्त विभाग आर्थिक स्थिति बहुत सुदृढ़ न होने के कारण निर्णय में विलम्ब हो रहा है जबकि परिषद द्वारा अवगत कराया जा चुका है कि उपरोक्त दोनों मांगों में कोई वित्तीय भार नही पडऩा है जिन संवर्गों में विसंगति व्याप्त है उनमें कर्मचारी उच्च वेतन पा रहे हैं परन्तु अधिकारियों द्वारा भ्रमित कर समस्याओं के समाधान में रुचि नहीं ली जा रही।