लखनऊ। यदि आपका बच्चा खाना ना खा रहा हो, किसी काम में रुचि न ले रहा हो या सुस्त रहता हो तो संभल जाइए। हो सकता है कि आपका बच्चा मिट्टी या चॉक खा रहा हो। एक 5 वर्षीय बेटी मीरा से बहुत परेशान थी। वह ठीक से खाना नहीं खाती थी, बहुत ही दुबली थी तथा बहुत ही चिड़चिड़ाती थी। वह मिट्टी व चाक खाती थी। सीमा ने उसे बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाया।
डॉक्टर ने बताया कि यह एक बीमारी पीका से ग्रस्त है जो कि मनोवैज्ञानिक खाद्य विकार है जिसमें लोग उन खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं जो काफी हद तक गैर पोषक होते हैं। पीका लैटिन शब्द मैगपाई से लिया गया है जो कि एक पक्षी का नाम है जो कुछ भी खा सकता है।
… तब होते हैं अस्पताल में भर्ती
यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है किन्तु बच्चों में यह अधिक आम है। यह मुख्य रूप से 2-3 वर्ष की आयु के बच्चों और आटिज्म जैसे विकास संबंधी विकलांग बच्चों में देखने को मिलता है। पीका पीडि़त गैर खाद्य पदार्थों जैसे मिट्टी, बाल, बर्फ, ग्लास, पेंट, कंकड़, बटन, मल, सिगरेट का टोटा, मिट्टी, चाक या पेस्ट का सेवन करते है। अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब खाये गये पदार्थ में विषाक्त पदार्थ, खतरनाक बैक्टीरिया, या परजीवी होते हैं।
बच्चा कुपोषित हो जाता है
रानी अवन्तीबाई जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया कि यह विकार विशेषकर उन बच्चों में देखने को मिलता है जो बच्चे संतुलित आहार का सेवन नहीं करते हैं तथा चिप्स, कोल्ड ड्रिंक, पिज्जा बर्गर इत्यादि से ही अपना पेट भर लेते हैं। जिसका परिणाम होता है कि बच्चा कुपोषित हो जाता है उसके शरीर में, सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे आयरन व कैल्शियम की कमी हो जाती है।
बच्चों को देते हैं आयरन व कैल्शियम
डॉ. सलमान बताते हैं कि लिखित में ऐसे बच्चों का कोई रिकॉर्ड नहीं है लेकिन इलाज के लिए ओपीडी में आये 100 बच्चों में से 4-5 बच्चे इस विकार से ग्रस्त होते हैं। ऐसे में हम बच्चों को आयरन व कैल्शियम देते हैं साथ में 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों को 200 मिग्रा अल्बेण्डाजोल व 2 वर्ष से ऊपर के बच्चों को 400 मिग्रा अल्बेण्डाजोल 6-6 माह पर देते हैं। ऐसे बच्चों को संतुलित आहार का सेवन करने व साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। साथ में यह भी सलाह देते हैं कि आयरन व कैल्शियम एक साथ नहीं देना चाहिए , दोनों को कुछ समय अंतराल पर ही देना चाहिए। यदि यह विकार वयस्क में हो तो उसे चिकित्सक को दिखाना चाहिए।