लखनऊ। टीबी एक संक्रामक रोग है अत: इसको पोलियो के उन्मूलन की भांति जड़ से खत्म के लिए सभी स्तर से प्रयास की जरूरत है। टीबी के मरीजों की जानकारी अब दवा के दुकानदार को भी देनी होगी। आईएमए ने केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन से भी अपील की है कि वे भी अपनी दुकानों पर आने वाले टीबी की दवा लेने आने वाले मरीजों के पर्चे के आधार पर टीबी के मरीजों की सूचना अपने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को दें। इससे टीबी के मरीजों का नोटीफिकेशन किया जा सके।
भारत सरकार और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच एमओयू
भारत में टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए भारत सरकार और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच एक एमओयू साइन हुआ है। यह जानकारी बुधवार को यहां रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आईएमए भवन में आयोजित आईएमए के प्रांतीय पदाधिकारियों की एक पत्रकार वार्ता में दी। डॉ. कराटे ने कहा कि वास्तव में टीबी के सभी मरीजों का पंजीकरण एक बड़ी चुनौती है। सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों के आंकड़े तो सरकार तक आसानी से पहुंच जाते हैं लेकिन निजी क्षेत्र और झोलाछाप चिकित्सकों के पास पहुंचने वाले मरीजों के आंकड़ों का संकलन आसान नहीं होता है।
ति मरीज धनराशि दिये जाने का प्रावधान
उन्होंने कहा कि निजी चिकित्सक और केमिस्ट दोनों को ही टीबी के मरीजों के नोटीफिकेशन के लिए प्रति मरीज धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। चिकित्सकों को मरीज के इलाज शुरू करने और इलाज पूर्ण करने की जानकारी देने पर अलग-अलग भत्ता दिया जायेगा। वह किसी भी विधा का चिकित्सक हो।
डॉक्टर निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका
आईएमए यूपी अध्यक्ष डॉ. एएम खान ने कहा कि भारत जैसे देश में टीबी के मरीजों की संख्या का अत्यधिक बोझ है। उन्होंने कहा कि हमें टीबी उन्मूलन के प्रति जिम्मेदारी निभाते हुए चिकित्सकों को कार्य करने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पहले भी पोलियो उन्मूलन में आईएमए ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। डॉ. खान ने बताया कि आईएमए उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या 25000 है, ये डॉक्टर टीबी के मरीजों के नोटीफिकेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
एचआईवी और टीबी का एक-दूसरे से कनेक्शन
आईएमए यूपी सचिव डॉ. जयंत शर्मा ने कहा कि आईएमए ने पूरे प्रदेश में सतत् चिकित्सा शिक्षा सीएमई आयोजित करने का कार्यक्रम तैयार किया है। इसके तहत जहां टीबी के इलाज की नई-नई जानकारी साझा की जायेंगी। उन्होंने कहा कि एक ताजा जानकारी यह है कि सरकार ने एचआईवी का इलाज करने वाले निजी चिकित्सकों को मरीजों का नोटीफिकेशन अनिवार्य कर दिया है, क्योंकि एचआईवी और टीबी का एक-दूसरे से गहरा कनेक्शन है।
यह है आंकड़ा
उन्होंने बताया कि 2015 के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2.5 मिलियन टीबी के मरीज थे जिसमें अब तक 1.74 मिलियन का ही नोटीफिकेशन हो चुका है। आंकड़े बताते हैं 4.50 लाख मरीजों की मौत टीबी से होती थी। इसके अलावा एक लाख दस हजार टीबी के मरीज एचआईवी ग्रस्त थे। इनमें से प्रति वर्ष 37 हजार की मौत हो जाती थी।
ये थे मौजूद
इस दौरान आईएमए के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अतुल कराटे, आईएमए यूपी के अध्यक्ष डॉ एएम खान, सचिव डॉ जयंत शर्मा, आईएमए के स्टेट टीबी कंट्रोलर डॉ राजेश कुमार सिंह के साथ ही उत्तर प्रदेश के टीबी ऑफीसर डॉ संतोष गुप्ता तथा वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डॉ उमेश त्रिपाठी, आईएमए सचिव डॉ. जेडी रावत और डॉ. डीपी मिश्र ने प्रदेश में टीबी के प्रति जागरुकता और सभी टीबी मरीजों के नोटीफिकेशन का आहवान किया।