लखनऊ। कैटलिस्ट रिसर्च टीम की गहन रिसर्च के बाद चिकित्सा क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिये पोलैण्ड के वरसा शहर में हुई 12वी वर्ल्ड कांग्रेस ऑन कन्ट्रोवर्सी इन न्यूरोलॉजी (कोनी), डॉ. एमोस डी कोर्सजेन व जरोसला स्लैवेक द्वारा आयोजित इस अतिमहत्वपूर्ण कांफ्रेंस के एक विशेष समारोह में पुनः प्रस्तावित कर डॉ. ठुकराल को इस पुरस्कार की ट्राफी एवं प्रशस्तिपत्र भेट किया गया। यह पुरस्कार उनके एक अति विशेष टेक्नीक जोकि मानसिक और न्यूरोसाइक्याट्रिक व मनोशारीरिक रोगो जो एक शत प्रतिशत विकल्प के रूप में आका गया। इस टेक्नीक में ग्रुप ‘ए‘ मेडिसीन रोग के लक्ष्णों के लिए, ग्रुप ‘बी‘ मेडिसीन मस्तिष्क के उन अंगो के लिए जो कुदरत की व्यवस्था से प्रभावित है और यह मस्तिष्क के यह अंग क्षतिग्रस्त रूप में रोगी को पहले से ही एक दुर्भाग्य के रूप में प्राप्त हुए है, ग्रुप ‘सी‘ मेडिसीन एक तरह से वह औषधियां है जो मस्तिष्क की दुर्बलताओं के कारण और उनके शारीरिक,मानसिक, सामाजिक व्यवसायिक, एस्ट्रोनोमिकल और वातावरण के कई अन्य तनावों शारीरिक क्षमता को कम करके विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोग और मस्तिष्क की क्षमता को आजीवन प्रभावित करते है। इन रोगों से निदान पाने के लिए इन सब व्यवस्थाओं को ठीक करना अतिआवश्यक है इसमें सबसे बड़ा इलाज है ग्रुप ‘डी‘ मेडिसीन का जिसका मतलब है सब औषधियों को हटाओं और रोगी या मनुष्य के जीवनशैली को परिवर्तित करके उसे आजीवन रोग मुक्त बनायें। प्रभावी रूप से एक नशा रहित, तनाव रहित, अपेक्षा रहित,नकारात्मकता रहित और परोपकार भरा जीवन ही सब रोगो का मूल निदान है। जब भी हम कोई नकरात्मकता लेते है तो वह हमारे मस्तिष्क के विभिन्न भागो को प्रभावित करता है यदि वह फ्रन्टल लोब को प्रभावित करेगा यदि पैरेटल लोब को प्रभावित करेगा इसी प्रकार मरिष्क के विभिन्न हिस्सो प्रभावित करके वह हमे डायबटीज, शुगर और अन्य नाना प्रकार के रोग देता है इसका एक मात्र उपाय है कि कोई भी ऐसा काम न करें जो आपके आत्मा को कचोटे या आपके मन में ऐसी संवेदना दे जिसे सोच कर आप दिन भर अपराधबोध में रहें। यह ज्ञात रहे कि यही हर प्रकार के रोग का पहला बीज है जो आप स्वयं अपने मस्तिष्क में बोते है और कुछ समय बाद आपको ऐसा लगता है कि आप क्यो विभिन्न प्रकार के रोगों का शिकार होते जा रहे है। आईएसएमआर डाटा 2013 के अनुसार हिन्दुस्तान में केवल 5 प्रतिशत लोग ही स्वस्थ है15 से 30 प्रतिशत तक पाँच गम्भीर रोगो से पीड़ित है इसके अतिरिक्त 80 प्रतिशत लोग साइकोसेमेटिक, मनोशारीरिक रोगो से पीड़ित है जिन्हे लगभग 100 साल पहले ढका हुआ अवसाद, उलझन या तनाव कहा जाता था। आजकल यह रोग मनोः शारीरिक रोग कहे जाते है जैसे कि जैसे मनो:पेट, मनोः हृदय, मनोः त्वचा, मनोः एण्डोक्राइनो, मनोः केश, मनोडर्मोटाइटिस, रक्तचाप, मधुमेह, वायुविकार या अत्यधिक गैस का बनना,आई.बी.एस., अलसरेटिव कोलाइटिस, मनोः अस्थमा, मनो: आर्थराइटिस, मनोः दौरे या मनोः बेहोशी,विभिन्न प्रकार की मनोः शारीरिक संवेदनाएँ और शारीरिक लक्षण एवं सरवाइकल – लम्बर स्पॉडिलाइटिस आदि । इसके अतिरिक्त न्यूरो साइक्याट्रिक रोग जैसे मानसिक, मष्तिष्क एवं न्यूरो रोग, स्मृतिभ्रंश/डिमेंशिया, बच्चो की व्यवहारिक समस्याए, विचित्र एवं आसामान्य व्यवहार, अवसाद, ओ.सी.डी., मूड डिस्ऑर्डर, याददाश्त, उदासी- घबराहट-तनाव, निद्रा समस्याए, नशा रोग, यौन रोग एवं मिर्गी-बेहोशी–दौरे, कठिन सरदर्द यह सब रोग मनुष्य का जीवन ले लेते है और वह कभी भी स्वस्थता की अनुभूति नही कर पाता। डॉ. ठुकराल द्वारा प्रतिसथापित ग्रुप ए, बी, सी, एवं डी टेक्नीक इसका एक शत प्रतिशत विकल्प है। अनेको पुरस्कार से सम्मानित ओमनीकेयर हाउस एवं सहारा हास्पिटल के डा. ठुकराल को टाइम मीडिया द्वारा सन 2017 में ‘आउण्टस्टैण्डिंग कन्ट्रीब्यूशन इन द फील्ड ऑफ मेण्टल हेल्थ,न्यूरो सांइसेस, 3डी ब्रेन स्पैक्ट फार हयूमन बिहेवियर, स्पिरिचुअल इवालूशन फार मैनेजमेंट ऑफ न्यूरोसाइक्याट्रिक डिस्आर्डर इन इंडिया‘ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि डा. आर.के.ठुकराल करीब 17 वर्षों से इस न्यूरो-साइक्याट्री के क्षेत्र में कार्यरत है । उनके द्वारा संचालित समस्त उ.प्र. के विभिन्न जिलों में न्यूरो-साइक्याट्रिस्ट सेटलाईट क्लीनिक्स है जिसका संचालन वह वीडियों काफ्रेंसिंग द्वारा करते है और इसके अतिरिक्त विश्व में कही से भी रोगियों को परामर्श देते है। उनके द्वारा स्थापित 3डी ब्रेन स्पेक्ट फार हयूमन बिहेवियर एक अदभुत कदम है जो न्यूरो एवं मानसिक रोगों का प्रथम बार एशिया एवं उसके निकटतम महाद्वीपों में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का वैज्ञानिक विश्लेषण एवं उत्तर है इसके द्वारा न्यूरो-साइक्याट्रिक रोगों को समय से बहुत पहले जाना जा सकता है और समय रहते इसका पूर्ण उपचार किया जा सकता है। इसी दिशा में पहली बार उन रोगियों को एक ऐसा लाभ मिला है जिससे वह रोगों के उन लक्ष्णो से मुक्ति पाते है जिनके बारे में प्रायः कहा जाता है कि रोगी को जीवन भर पेट, न्यूरो, कार्डियों, एण्डोक्राइनों आदि लक्षणों से घिरा रहता है, लेकिन कभी उसकी जाँचों में कभी कुछ नही निकलता और प्रायः वह जीवन भर इन रोगों से संघर्ष करता रहता है। इस दिशा में विश्लेषित है कि यह लक्षण ब्रेन के विभिन्न अंगो के ठीक से कार्य न करने के कारण जीवन भर बने रहते है । 3डी ब्रेन स्पैक्ट इन रोगो के सम्पूर्ण विश्लेषण और निदान का एक ऐसा विकल्प है जिसने चिकित्सा क्षेत्र में इन रोगों के उपचार का एक सम्पूर्ण उत्तर दिया है। इसके अतिरिक्त डॉ. ठुकराल द्वारा स्पिरचुअल टेक्नीक के माध्यम से रोगी को आजीवन ठीक करने के अद्भुद तरीके भी रोगियों के रोग का निदान करके उनको सामाजिक जीवन में स्थापित करने के लिए अनुकरणीय है जिससे बहुत से चिकित्सक धीमे धीमे अवगत हो रहे है और हो पाप रहित हो रोग मुक्त वाक्य से अभिभूत होकर एक स्वस्थ मस्तिष्क और रोग मुक्त समाज की स्थापना के लिए डॉ. ठुकराल के प्रति समर्पित होते जा रहे है।