लखनऊ। चिकित्सा के क्षेत्र में नई तकनीक ने लोगों को हैरान किया है। अब एक ऐसी नई तकनीक आई है कि जिसमें सर्जन अपने पेसेंट से दूर रहेगा। बस एक इलेक्ट्रिक वायर की मदद से पेसेंट पर नजर रखी जाएगी और पेसेंट का ऑपरेशन भी सफल हो जाएगा। जी हां अब ऐसा बिल्कुल मुमकिन है। उक्त बातें प्रेस कल्ब में आयोजित कार्यशाला में अपोलो चिल्ड्रन हास्पिटल चेन्नई के पीडियाट्रिक रोबोटिक यूरोसर्जन डॉ. वी श्रीपति ने कही।
उन्होंने कहा कि बच्चों में होने वाली जन्मजात या अन्य मूत्र संबंधी बीमारियों का इलाज सुलभ हो गया है। वहीं रोबोटिक सर्जरी से माइक्रो मिनिमल इन्वेंसिव सर्जरी भी संभव हो चुकी है, जिससे गुणवत्ता के मामले में ओपन व लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।
बड़ी सर्जरी को सुलभ व गुणवत्तायुक्त
उन्होंने कहा कि ओपन सर्जरी में लंबा चीरा लगाने के साथ ही मरीजों को कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है, जिसके बाद लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ने न केवल छोटे चीरों से बड़ी से बड़ी सर्जरी को सुलभ व गुणवत्तायुक्त बना दिया, बल्कि कम ब्लीडिंग और अस्पताल में कम दिन रहने की सुविधा भी मिल गई। रोबोट सर्जरी तकनीक ने लेप्रोसर्जरी की गुणवत्ता को बढ़ाते हुए जटिल सर्जरी को आसान बना दिया है।
ऐसे काम करता है रोबोट सर्जरी
डॉ. श्रीपति ने बताया कि रोबोट सर्जरी में, रोबोट डॉक्टर और मरीज के बीच का माध्यम होता है। इसमें डॉक्टर दूर कम्प्यूटर पर बैठकर रोबोट को हैंडल करता है और ओटी टेबिल पर लेटे मरीज में चीरा लगाने से लेकर सर्जरी उपरांत टांके लगाने का काम भी करता है। रोबोट के हाथों में चिकित्सकीय उपकरणों के साथ कैमरा भी रहता है जिससे मरीज के अंदर सर्जरी के दौरान डॉक्टर देखता रहता है और किसी भी छोटी से छोटी धमनियों से लेकर अंग को जूम कर 10 गुना बड़ा आसानी से कम्प्यूटर की स्क्रीन पर देखकर, सर्जरी करना आसान हो गया है।
लागत है थोड़ा ज्यादा
डॉक्टर श्रीपति ने बताया कि आम सर्जरी की जगह यदि रोबोट सर्जरी होती है तो अभिभावकों को करीब 30 हजार का खर्चा बढ़ जाता है। उन्होंने बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये डॉ विंकी रोबोटिक इंटरफेस लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें सर्जरी के दौरान अंग को थ्री डायमेंशन में कुदरती रंग के साथ देखने की सुविधा हैं, कैमरा और रोबोट के हाथों को सहूलियत के अनुसार इधर-उधर घुमाने की सुविधा है।
सबसे पहला ऑपरेशन
साल 2012 में यूएस से टे्रनिंग लेने के बाद भारत में पहली बार संपन्न की गई रोबोटिक सर्जरी की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल अफ्रीकन बच्चा था, सफल सर्जरी के साथ ही पीडियाट्रिक रोबोटिक सर्जरी भारत में लांच हो गई। उसके बाद अब तक 200 से ज्यादा सफल सर्जरी कर चुके हैं। रोबोटिक सर्जरी में उन्होंने थेजीनीटो यूरीनरी टै्रक्ट, लिवर व पित्त मार्ग, गैस्टो इंटरस्टाइनल टै्रक्ट तथा थोरैक्स शामिल हैं।
सबसे कम दिन के बच्चे की सर्जरी
उन्होंने कहा कि 50 दिन यानि दो माह से कम का बच्चा जिसका वजन मात्र चार किलो था, रोबोट सर्जरी में कम चीरे से बेहतर सर्जरी संभव हो सकी। दर्द कम हुआ और बच्चा जल्दी ठीक हो गया और अभिवावक भी जल्दी डिस्चार्ज होने से खुश हो गये। चिकित्सकों की अगली पीढी को सेफ एंड इंफेक्टिव रोबोटिक सर्जरी इन चिल्ड्रन शीर्षक से ट्रेनिंग दे रहे हैं।