लखनऊ। सोमवार को साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में केजीएमयू की ओर से सॉफ्ट स्किल पर आयोजित कार्यशाला का आयोजन किया गया। यहां बताया गया कि मरीजों के लिए सिर्फ दवा ही काफी नहीं बल्कि दया और दुआ की भी जरूरत होती है। इससे मरीज के सेहत में सुधार जल्दी आता है। डॉक्टर भी अपनी जिम्मेदारी को देखते हुए मरीजों को धैर्य से देखें।
डॉक्टरों की सबसे बड़ी पूंजी संवेदना
उक्त विचार ब्रह्मकुमारी राधा बहन ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संवेदना डॉक्टरों की सबसे बड़ी पूंजी है। इसे संजोकर रखने की जरूरत है। आधुनिक जीवनशैली में मानवीयगुणों का स्तर कम हो रहा है। यह गंभीर चिंता की बात है। यदि आपके भीतर संस्कार व मानवीय गुण नहीं हैं तो अच्छे ढंग से काम नहीं कर पाएंगे।
प्रशिक्षण से आता है निखार
केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि यह प्रशिक्षण से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के काम में निखार आता है। उन्होंने कहा कि केजीएमयू प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने में लगातार बढ़ रहा है। केजीएमयू स्किल सेंटर के प्रमुख डॉ. विनोद जैन ने कहा कि वैज्ञानिक शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि जिन मरीजों का इलाज अच्छे व्यवहार के साथ होता है, उनकी सेहत में तेजी से सुधार आता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों में तनाव घर कर रहा है। यह चिंताजनक है। नतीजतन मरीजों व तीमारदारों से उनके रिश्ते बिगड़ रहे हैं।