
हमारे देश की लगभग 9-17 प्रतिशत जनसंख्या सिम्पटोमैटिक गॉल स्टोन से पीडि़त है। महिलाएं गॉल ब्लेडर स्टोन से पुरुषों की तुलना में तीन गुनी अधिक पीडित होती हैं। 30-50 वर्ष की महिलाओं में यह समस्या सर्वाधिक पाई जाती है।
गॉल ब्लैडर के कार्य
वसा के पाचन में सहायता करता है, वसा में घुलनशील एंटी ऑक्सीडेंट्स और विटामिन ए, ई, डी और के पाचन में सहायता करता है, कोलेस्ट्रॉल को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है व लीवर के द्वारा जो विषैले पदार्थ तोड़े जाते हैं उन्हें बाहर निकालने में सहायता करता है।
कारण
गॉल ब्लैडर स्टोन क्यों होता है इसके कारणों के बारे में ठीक प्रकार से पता नहीं है इसके संभावित कारणों में- लो कैलोरी युक्तभोजन का सेवन, तेजी से भार कम होना, लंबे समय तक उपवास रखना, बाइल में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होना, बाइल में बिलिरूबिन की मात्रा अधिक होना, गॉल ब्लेडर का ठीक प्रकार से खाली न हो पाना व कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाईयों का सेवन, अनुवांशिक कारण। गॉल ब्लैडर स्टोन और जीवनशैली से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और रक्त में कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से सीधा संबंध है।
लक्षण
सामान्यत गॉल ब्लैडर स्टोन के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। अगर पित की थैली में इंफ्ेक्शन हो जाए या स्टोन नली में फंस जाता है तो निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे-पेट के उपरी दायें भाग में दर्द होना, छाती की हड्डी के नीचे, पेट के केंद्र में अचानक तेज और गहरा दर्द होना, कमरदर्द व दांये कंधे में दर्द होना और गॉल स्टोन का दर्द कुछ मिनटों से लेकर कुछ दिनो तक हो सकता है।
रोकथाम और सावधानियां
अनाज और वसा का संतुलित सेवन भी करें, सेचुरेटिड फुर का सेवन कम से कम करें, जैसे-मीट, अंडा, वनस्पति, मख्खन आदि, खट्टे और कड़वे खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें ये पाचन में सहायता करते हैं।
तो तुरंत डॉक्टडर से संपर्क करें
अगर आपको गंभीर गॉल ब्लैडर स्टोन की जटिलता के लक्षण दिखाई दें तब बिना देर किये
डॉक्टर को दिखाएं
पेट में दर्द इतना तेज होता है कि आप सीधे नहीं बैठ सकें, त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ जाना, ठंड लगने के साथ तेज बुखार आना, तेज बुखार के कारण उल्टी आना, जटिलताएं, यह बहुत जरुरी है की गॉल स्टोन का पता चलते ही जल्द से जल्द इसका इलाज कराया जाए, यदि इसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो यह घातक हो जाती हैं- अगर स्टोन बाइल डक्ट में फंस जाता है तो इससे पीलिया हो सकता है जिससे स्थिति काफी गंभीर हो सकती है।
संक्रमण के कारण गॉल ब्लैडर में पस पड़ सकती है जिसके कारण पेरिटोनाइटिस हो सकता है जो जीवन के लिये घातक है। इसके कारण पैंक्रियाटिस हो सकता है, यह भी जीवन के लिये एक घातक स्थिति है, गॉल ब्लैडर स्टोन से पीडि़त 6-18 प्रतिशत लोगों में गॉल ब्लैडर का कैंसर होने की आशंका विकसित हो सकती है।
उपचार
सर्जरी के द्वारा स्टोन के साथ गॉल ब्लैडर को भी निकाल दिया जाता है क्योंकि अगर इसे न निकाला जाए तो इसमें फिर से स्टोन विकसित हो सकता है। गॉल ब्लैडर को निकालने के लिये की जाने वाली लैप्रोस्कोपी सर्जरी को कोलेसिस्टेकटॉमी कहते हैं। इस तकनीक के द्वारा सर्जरी कराने पर अधिक दिनों तक अस्प्ताल में भी नहीं रहना पड़ता है।
गॉल ब्लैडर निकालने का शरीर पर प्रभाव
एक बार जब गॉल ब्लैडर निकल जाता है तो बाइल गॉल ब्लैडर में स्टोर होने की बजाय सीधे आपके लीवर से बहकर छोटी आंत में चला जाता है। आपको जीने के लिये गॉल ब्लेडर की आवश्यकता नहीं है, गॉल ब्लैडर को निकालने से आपकी भोजन को पचाने की शक्ति प्रभावित नहीं होती है।