लखनऊ। शनिवार को केजीएमयू के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ अवधेश यादव ने बच्चोंं के चोट से जुड़ी बातों को बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों के सिर पर यदि चोट लग जाए तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। जरा सी लापरवाही बच्चे को गंभीर बीमारी की ओर धकेल सकती है।
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे अक्सर बेड, चारपाई या फिर उंचाई से गिर जाते हैं। ऐसे में उनके सिर पर चोट लगती है। मां-बाप अक्सर इसे सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। डॉ अवधेश न्यूरोट्रॉमा सोसायटी की ओर से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में न्यूरोट्रॉमा वर्कशाप में बतौर अतिथि बोल रहे थे। इस दौरान देश-विदेश से आए न्यूरोसर्जरी के विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए।
ध्यान दें
बच्चे को यदि सिर प चोट लगी हो और चोट की सूजन दो सेंटीमीटर की हो तो तुरंत न्यूरो के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉ. अवधेश यादव ने बताया कि छोटे बच्चे अपनी समस्या नहीं बात पाते हैं। सिर की चोट लगने बाद व्यवहार में परिवर्तन आने लगता है। उल्टी, सिरदर्द, दौरे पडऩा, नाक, कान, मुंह से खून आना, बड़े बच्चे की ओर से घटना का विवरण ना बता पाना न्यूरो की समस्याएं हैं। अगर इनका समय पर इलाज नहीं किया गया तो भविष्य में बड़ी समस्या आ जाती हैं। उन्होंने बताया कि बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों का सीटी स्कैन नहीं करना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि विकिरणें नुकसान पहुंचाती हैं।
इस विधि से राहत
डॉ. राममनोहर लोहिया संस्थान के डॉ. मोहम्मद कैफ ने बताया कि सिर में चोट लगने के बाद दबाव को हल्का करने के लिए अक्सर हड्डी को निकाला जाता है, जिससे इलाज में आसानी हो। उन्होंने बताया कि अब सिस्टर्न ऑस्टमी विधि से 150 मिली पानी निकाला जा सकता है।