हमीरपुर । मौदहा क्षेत्र में मंगलवार को फाइलेरिया की दवा खाने से चार महिलाओं की तबीयत बिगड़ गयी। इससे ग्रामीणों में आक्रोश गहरा गया। दवा खिलाने वाली आशा का घर ग्रामीणों ने घेरकर हंगामा शुरू कर दिया। मामले की जानकारी होते ही अधिकारी मौके पर पहुंचे और किसी तरह मामले को शांत कराया। अधिकारियों के समझाने के बाद टीम ने डोर-टू-डोर दवा का वितरण शुरू कराया।
शरीर में खुजली, उल्टी और चक्कर
मौदहा क्षेत्र में फाइलेरिया अभियान के दूसरे दिन छिरका गांव में आशा शीला ने फाइलेरिया की दवा गांंव की महिला कल्पना, पुत्तन, मीरा और अर्चना को दी थी। दवा खाने के कुछ देर बाद इन चारों महिलाओं को शरीर में खुजली, उल्टी और चक्कर आने शुरू हो गए। इससे गांव में दवा में गड़बड़ी का हल्ला हो गया और गांव की भीड़ आशा के घर पर जमा हो गई। स्थिति भांप कर आशा ने इस पूरे घटनाक्रम के बारें में पीसीआई के जिला समन्वयक शशांक सिंह को अवगत कराया। जिला समन्वयक ने बताया की उन्होंने जिला मलेरिया अधिकारी आर के यादव को जानकारी दी। उन्होंने अपने स्तर से मौदहा सामुदायिक अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल सचान से वार्ता की। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम शाम होते होते छिरका गांव पहुंच गई। जिला समन्वयक ने बताया की माहौल काफी गर्म था। गांव पहुंची टीम ने ग्रामीणों की शंकाओं का समाधान किया। तब कहीं जाकर ग्रामीणों ने फाइलेरिया की दवा खानी शुरू की।
इसी वजह से हुआ
मौदहा सीएचसी अधीक्षक डॉ. अनिल सचान ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवा डीईसी व एल्बेण्डाजोल को खाने से अगर स्वस्थ्य व्यक्ति में किसी प्रकार का प्रतिक्रिया जैसे उल्टी होना, चक्कर आना आदि अगर होता है तो कहीं ना कहीं वह व्यक्ति फाइलेरिया बैक्टीरिया से प्रभावित होता है। इसका बैक्टीरिया स्वस्थ्य शरीर में सुस्तावस्था में पड़ा रहता है। दवा खाने से बैक्टीरिया मरने लगते हैं और इस तरह की प्रतिक्रिया दिखाई देती है। छिरका में भी जो हुआ है वह इसी वजह से हुआ था।
उन्होंने बताया कि फिलहाल ग्रामीणों को बात समझ में आ गई है और अभियान में सहयोग करते हुए दवा लेनी शुरू कर दी है।
जिला मलेरिया अधिकारी आर के यादव ने बताया कि फाइलेरिया की दवा पूरी तरह सुरक्षित है। इसे खाने से शरीर को किसी किस्म का कोई नुकसान नहीं होता है। पूरे जनपद में अभियान रफ्तार से चल रहा है। डोर टू डोर दवा बांटी जा रही है।