लखनऊ। राजधानी में डेंगू से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका आशियाना है। इस बात को सीएमओ ने भी माना है। विडंबना की बात है कि डेंगू से पीडि़त मरीजों को लोकबंधु अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रह है। जबकि यह अस्पताल 100 बेड का है। इलाज नहीं मिलने से मरीज मौत के मुंह में जा रहे हैं।
संसाधनों का अभाव
शनिवार को ही कृष्णा नगर के पुजारी बलदाऊ को इलाज नहीं मिला और उनकी मौत हो गई। नौ साल पहले बने इस अस्पताल में अभी तक डॉक्टर और संसाधनों का अभाव है। लोहिया अस्पताल का संस्थान में विलय के बाद लोकबंधु राजनारायण संयुक्त अस्पताल में एक फिजीशियन डॉ. संजीव खटवानी और एक सर्जन पहुंचे। अब स्थिति यह है कि लोहिया अस्पताल में मुफ्त इलाज का संकट होने से मरीजों का भार बलरामपुर, सिविल के अलावा लोकबंधु पर भी पड़ा है।
दो बजे के बाद से एक्सरे बंद
यहां पर डॉ. खटवानी अकेले ही बुखार, डेंगू समेत अन्य तरह की बीमारी के मरीजों को देख रहे हैं। त्वचा रोग के डॉक्टर को करीब ढाई माह बीत रहे हैं, अभी उनको वेतन नहीं मिल रहा है। अक्टूबर में आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का आदेश मिलने से अब मरीजों का दोपहर दो बजे के बाद से एक्सरे तक बंद हो गया है। सिर्फ एक ही स्थायी टेक्नीशियन हैं और यहां ब्लड बैंक नहीं है।
अस्पताल में इनकी है कमी
पैथालॉजी लैब में एक स्थायी एलटी है। जबकि आउटसोर्स वाले कर्मचारी काम बंद कर चुके हैं। लैब में पीओसीटी कंपनी के जरिए ही कर्मचारी रखकर काम चल रहा है। एक दिन में पांच से छह सौ लोगों की खून की जांच हो रही है। इनमें बुखार और डेंगू के डेढ़ से दौ सौ मरीज हैं। अस्पताल में नौ साल बाद भी न्यूरो, कॉर्डियक, प्लास्टिक सर्जन, पेट रोग विशेषज्ञ आदि नहीं है। फार्मासिस्ट का पद नहीं है और ईएमओ की कमी है।