लखनऊ। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। पहले से तय कार्यक्रम के तहत रविवार को बलरामपुर चिकित्सालय में हुई। बैठक में फैसला लिया गया है कि हटाए गए सभी स्टाफ नर्स को सेवा पर बहाली की जाए। यूपीएचएसएसपी परियोजना का विस्तार किया जाए। प्रदेश में आउटसोर्सिंग व्यवस्था की स्थाई नीति तत्काल लागू किया जाए। मुख्यमंत्री द्वारा गठित कमेटी 9 अगस्त 2018 की रिपोर्ट तत्काल केजीएमयू, लोहिया, पीजीआई में लागू किया जाए। सभी कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार के अवकाश की व्यवस्था की जाए।
कब क्या करेंगे
उक्त मांगों को लेकर बैठक में फैसला किया गया है कि 20 सितंबर से 24 सितंबर तक काला फीता बांधकर सभी चिकित्सालय मेडिकल कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। 25 व 26 सितंबर को सभी चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेजों में 2 घंटे का सांकेतिक कार्य बहिष्कार किया जाएगा। 27 सितंबर को इको गार्डन में विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित करके मुख्यमंत्री को मांग पत्र दिया जाएगा और मांगे पूरी न होने पर 30 सितंबर से पूरे प्रदेश के जिला चिकित्सालय, संयुक्त चिकित्सालय, सीएचसी पीएचसी मेडिकल कॉलेज डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान केजीएमयू तथा एसजीपीजीआई में पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार कर दिया जाएगा जिसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी।
2019 से अब तक लगभग 10,000 कर्मचारी बेरोजगार
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने बताया कि प्रदेश सरकार तेजी से आउटसोर्सिंग व्यवस्था को बढ़ावा देकर लगातार युवाओं का शोषण और उत्पीडऩ बढ़ा रही है। इस व्यवस्था में एक तरफ तो पैसे की उगाही करके नौकरी दी जाती है और दूसरी तरफ हर साल हजारों लोग अनुबंध समाप्त होने की वजह से बेरोजगार हो जाते हैं।
जनवरी 2019 से अब तक लगभग 10,000 कर्मचारी बेरोजगार हुए हैं। विभिन्न चिकित्सालयों में अवनी परिधि द्वारा कार्यरत नर्सिंग कर्मचारियों को हटा दिया गया दूसरी ओर यूपीएचएसएसपी परियोजना बंद होने से 30 सितंबर को भी काफी लोगों को निकाले जाने की संभावना है। ई हॉस्पिटल परियोजना में भी लोग हटाये गए, विभिन्न चिकित्सालयों का मेडिकल कॉलेज में विलय में भी काफी लोग बेरोजगार हुए हैं।
उचित कार्रवाई शासन से नहीं हुई
प्रदेश मीडिया प्रभारी सच्चितानन्द मिश्र ने बताया कि 26 अक्टूबर 2018 को इको गार्डन में विशाल धरना प्रदर्शन द्वारा मुख्यमंत्री को 5 सूत्रीय मांग पत्र दिया गया था, मगर शासन के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को गुमराह करके इस व्यवस्था को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। जिससे कोई भी उचित कार्रवाई शासन से नहीं हुई और एक वर्ष में एक भी मांग पूरी नहीं हो पाई। अब कर्मचारी सरकार से लडऩे को तैयार हैं। सरकार आउटसोर्सिंग की नौकरी देकर लगातार उत्पीडऩ और शोषण करती है।
कर्मचारी अब पीछे नहीं हटेंगे
संविदा कर्मचारी संघ द्वारा अब 2022 तक लगातार क्रमबद्ध आंदोलन जारी रहेगा क्योंकि इस व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत है। प्रदेश सहायक मंत्री विकास तिवारी ने कहा कि कर्मचारी अब पीछे नहीं हटेंगे जब तक आउटसोर्सिंग व्यवस्था की स्थायी नीति नहीं लागू हो जाती और मुख्यमंत्री द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट केजीएमसी, डॉ राम मनोहर लोहिया, पीजीआई में लागू नहीं किया जाता।
आंदोलन पर जाएंगे
पंचायती राज विभाग के प्रांतीय महामंत्री रामेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि इस व्यवस्था के बढऩे से युवाओं का उत्पीडऩ तेजी से बढ़ा है। सभी कर्मचारियों को पद अनुसार वेतन, न्यूनतम वेतन 24000, स्थाई नीति की मांग लेकर आंदोलन पर जाएंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन की होगी और ऐसे में जो भी असुविधा प्रदेश की जनता को होगा उसकी जवाब सरकार नहीं दे पाएगी।
कर्मचारियों को अब उनका हक मिलना चाहिए
प्रदेश मंत्री मनीष मिश्रा ने बताया कि कर्मचारियों को अब उनका हक मिलना चाहिए क्योंकि लगातार इनका शोषण होता जा रहा है आज भी कर्मचारी 6000 से 10000 रुपये प्रतिमाह पर काम करने को मजबूर हैं। इन कर्मचारियों को न तो कोई अवकाश मिलता है ना कोई सुविधाएं मिलती हैं। आवाज उठाने पर या पूछताछ करने पर इनको नौकरी से निकाल दिया जाता है। सबके वेतन से की जा रही ईपीएफ, ईएसआई की पूछताछ पर कर्मचारी को सेवा मुक्त कर दिया जाता है।