लखनऊ। एलएसडीएसएस ने अत्यन्त दुर्लभ अनुवांशिक रोगों की जनचेतना को बढ़ावा देने व पीडि़त बच्चों को उपचार प्रदान कराने के लिए लखनऊ में 10वां अन्र्तराष्ट्रीय दिवस का आयोजन किया। कार्यक्रम में पीडि़त बच्चों व अभिभावकों ने हिस्सा लेकर जागरूक रैली निकाली और सरकार से मदद की मांग की।
समय पर इलाज से बच सकती है जिंदगी
संस्था ने प्रदेश के लगभग 28 बच्चों को उपचार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार से प्रार्थना की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. शुभा फडके, पीजीआई डॉ. रश्मि कुमार, केजीएमयू और डॉ. अमरेश बहादुर सिंह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन शामिल हुए और बच्चों को प्रोत्साहन दिया। अगर समय पर पीडि़त बच्चों को इलाज मिले तो वह सामान्य जिन्दगी बिता सकते हैं।
बिता रहे सामान्य जिंदगी
लखनऊ की अलका आज एक स्वस्थ बेटे व बेटी की मां हैं। यह केवल इलाज से संभव हो पाया है। गाजियाबाद के शशांक त्यागी जो एमबीए शिक्षित हैं वह भी सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यह दोनों जीवंत उदाहरण है जो दुर्लभ बीमारी गौचर से ग्रस्त हैं लेकिन समय पर दवाइयां मिलने से वे दोनों सामान्य जिंदगी बिता रहे हैं।
एलएसडी का इलाज कराने वाला कर्नाटक पहला प्रदेश
अगर दुर्लभ बीमारियों के इलाज की बात की जाए तो अधिकतर देशों की सरकार इलाज का खर्चा स्वास्थ्य योजनाओं के तहत करती हैं लेकिन भारत में अभी यह व्यवस्था उपलध नहीं है। कर्नाटक सरकार एलएसडी का इलाज कराने वाला पहला प्रदेश बन गया है अब दूसरे राज्यों को भी इस दिशा में ऐसी योजनायें विकसित करनी चाहिए, ताकि एलएसडी के अन्तर्गत आने वाली दुर्लभ बीमारियों से पीडि़त लोगों का बेहतर इलाज हो सके। इसके अलावा दुर्लभ बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक कराने की बहुत जरूरत है, ताकि लोग बीमारी को समय रहते पहचान कर उसका इलाज कर सकें।
5,000 बच्चों में से किसी एक में होती है एलएसडी
एलएसडी एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है जो लाइसोसोमल स्टोरेज डिसीज नामक लगभग 50 दुर्लभ अनुवांशिक बीमारियों के ग्रुप से जुड़ी हैं जो शरीर की कोशिकाओं के एक विशेष हिस्से लाइसोसोम में विशेष एन्जाइमों की कमी के कारण होती है। एलएसडी लगभग 5,000 बच्चों में से किसी एक में होती है। इसमें से 7 बीमारियों का इलाज अब एन्जाइम प्रतिस्थापन चिकित्सा ईआरटी द्वारा किया जा सकता है।
फिलहाल भारत मे΄ इसके लगभग 300 से 400 मरीज हैं जिसमें से प्रदेश में 45 बच्चे हैं जिनका उपचार किया जा सकता है और 4 एलएसडी गौचर पोम्पे एमपीएस और फेब्री का इलाज भारत में उपलध है।