लखनऊ। बच्चों को अब शुगर की जांच के लिए सुई नहीं चुभोनी पड़ेगी। टाइप वन डायबिटीज में बच्चों को 24 घंटे में कई बार इंसुलिन लगानी होती है। लेकिन अब कांटीनुअस ग्लूकोज मॉनीटरिंग सिस्टम (सीजीएमएस) आ गया है। उक्त बातें शुक्रवार को केजीएमयू के पीडियाट्रिक विभाग के 64वें स्थापना दिवस पर पीजीआई के डॉ. वीएल भाटिया ने कही।
कृत्रिम पैंक्रियाज की सुविधा
बच्चों के लिए इस तकनीक को बढ़ावा देना चाहिए। इसमें एक छोटा सा पैच स्किन पर 15 दिन तक लगाकर लगा दिया जाता है, जो कि 24 घंटे लगातार शुगर की जानकारी देता है। बच्चों में टाइप वन डायबिटीज पर इंसुलिन लेना जरूरी होता है। साथ ही कृत्रिम पैंक्रियाज से लोगों के शरीर को जरूरत के हिसाब से इंसुलिन मिलती रहेगी। कृत्रिम पैंक्रियाज की सुविधा करीब एक वर्ष बाद मिलेगी।
प्रमुख सचिव ने कही ये बात
प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने आयुष्मान योजना को सही तरीके से संचालित करने को कहा। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती पर विचार व्यक्त किए। इस मौके पर केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट और पीडियाट्रिक्स विभाग की प्रमुख डॉ. रश्मि कुमार ने पीडियाट्रिक विभाग की उपलब्धियां गिनाई। कार्यक्रम में डॉ. यूके मिश्रा, डॉ. माला कुमार, डॉ. शालिनी अवस्थी व अन्य मौजूद रहे।
इनका किया गया सम्मान
कार्यक्रम में चित्रकारी प्रतियोगिता के विजयी निधि को प्रथम, समीर को द्वितीय पुरस्कार दिया गया। रिटायर हो चुके शम्सुद्दीन, जन्नो और माया, स्वास्थ्य कर्मी विजयलक्ष्मी प्रियंका गौड़, अनिल सिंह, राकेश, जगदीश, अमित समेत अन्य को बेहतर सेवा के लिए सम्मानित किया गया।