लखनऊ। अब डायबिटीज और पेट के अल्सर का सटीक और जल्दी पता लगाने के लिए ब्रीदिंग एनालाइजर की मदद ली जाएगी। पेट में अल्सर का पता लगाने के लिए इंडोस्कोपी या बायोस्कोपी का सहारा नहीं लेना होगा। इसके बारे में रविवार को इंडियन सोसाइटी ऑफ केमिस्ट एंड बायोलॉजिस्ट के प्रोग्राम में डॉ. मानिक प्रधान ने जानकारी दी।
डॉक्टर ने यह बताया
डॉ. प्रधान कोलकाता के एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्होंने अपने शोध के बारे में बताया कि जब हम मुंह से सांस छोड़ते हैं तो उसमें बहुत सारे रासायनिक घटक हमारे सांस से बाहर निकलते हैं। अत: मास स्पेक्ट्रोस्कोपी के माध्यम से सरल मानव सांस विश्लेषण द्वारा मधुमेह और पेट के अल्सर की जांच की प्रारंभिक पहचान तकनीक पर आधारित है। उनके अनुसार, यह तकनीक नियमित जांच के लिए उपयोग करना बहुत आसान है, एंडोस्कोपी और बॉयोप्सी की तुलना में जो अधिक महंगे व तकलीफदायक है। आपकी सांस में मौजूद रासायनिक घटकों द्वारा टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह का प्रारंभिक पता लगाना भी संभव है क्योंकि आपकी सांस के रासायनिक घटक बदल जाते हैं भले ही आपको यह बीमारी बहुत ही प्रारंभिक अवस्था में हो।
डॉ काजुआकी मात्सुमुरा, एसोसिएट प्रोफेसर, जापान ने पोलीएम्फोलिएट्स पदार्थों के बारे में विस्तार से चर्चा की। पोलीएम्फोलिएट्स में निगेटिव और पॉजिटिव चार्ज होने के कारण इनका उपयोग ड्रग डिलीवरी तकनीक के द्वारा अल्जाइमर व मस्तिष्क की अन्य बीमारियों के इलाज में सहायक होगा।
भारत में 8 हजार प्रकार के औषधीय पौधे
हर्बल मेडिसिन में भारत को विश्व में अग्रणी बनाने के लिए सीडीआरआई लखनऊ में आधुनिक तकनीक उपलब्ध है। यह बात सीडीआरआई के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. बृजेश कुमार ने कही। उन्होंने आगे कहा कि औषधीय जड़ी बूटियों का वैश्विक बाजार $14 बिलियन है जबकि प्रोसेस्ड में हर्बल औषधियों का बाजार 60 बिलियन डॉलर है। भारत में 8 हजार प्रकार के औषधीय पौधे पाये जाते हैं, जो विभिन्न बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।
कई बार बाजार में आयुर्वेदिक दवाएं अप्रभावी होने के कारण असफल हो जाती हैं क्योंकि हम सही औषधि व पौधों की पहचान नहीं कर पाते हैं। अब आयुर्वेदिक वैज्ञानिक को यह पता लगाने में मदद करने के लिए तकनीक उपलब्ध है कि पौधे के किस हिस्से में वास्तविक औषधीय यौगिक मौजूद हैं और कब यह पौधों से दवा लेने का सही मौसम और समय होता है और इस प्रकार हम प्रभावी हर्बल औषधियों का अनुसंधान करके बहुत सी बीमारियों का प्रभावी इलाज कर सकते हैं।