लखनऊ। जिले में 1 अगस्त से विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है जो कि 7 अगस्त तक चलेगा। इसके तहत जिले में विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इस क्रम में सोमवार को काकोरी विकासखंड में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराएं
काकोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. यूएस लाल ने केंद्र पर आशा कार्यकर्ताओं को स्तनपान के महत्व के बारे में बताते हुये कहा कि वह अपने कार्यक्षेत्र में प्रसूताओं व उनके परिवार के सदस्यों को यह सलाह दें कि नवजात को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराएं। एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने से मां को दूध जल्दी उतरता है। जब भी बच्चा मांगे उसे स्तनपान कराएं। इससे मां और बच्चे के बीच प्यार भरा रिश्ता मजबूत होता है। इससे प्लेसेन्टा जल्दी बाहर आएगा और खून कम बहेगा। डॉ. लाल ने बताया कि जब भी मां बच्चे को स्तनपान करायें तो मां को बच्चे को अपने शरीर से सटाकर पकडऩा चाहिए, बच्चे का मुंह और शरीर मां की तरफ मुड़ा हुआ हो।
5-20 मिनट तक स्तनपान करते हैं शिशु
मां ने बच्चे की गर्दन, पीठ और कूल्हे को सहारा दे रखा हो। जब मां शिशु को स्तनपान कराना शुरू करती है तब वह शिशु को स्तन से लगाना सीखती है और शिशु स्तन को मुंह में लेना सीखता है। मां को धैर्यपूर्वक एक ही स्तन से दूध पिलाना चाहिए। शिशु एक स्तन से पीने के बाद यदि चाहता है उसे दूसरे स्तन से भी दूध पिलाएं। अधिकतर शिशु एक बार 5-20 मिनट तक स्तनपान करते हैं। कई बार शिशु एक स्तन से दूध पीकर ही संतुष्ट हो जाते हैं अत: दूसरी बार उसे दूसरे स्तन से दूध पिलाना चाहिए। शुरुआत में आने वाले दूध को फोर मिल्क कहते हैं और उसमें 90 फीसदी पानी की मात्रा होती है और बाद में आने वाले दूध को हाइंड मिल्क कहते हैं और यह पौष्टिक होता है।
पहला पीला गाढ़ा दूध अवश्य दें
स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शशि भूषण ने बताया कि उसे पहला पीला गाढ़ा दूध अवश्य दें, (जिसे खीस कहते हैं) क्योंकि इसमें पोषक तत्व होते हैं जो बीमारियों से लडऩे की शक्ति देते हैं। कोलोस्ट्रम (खीस) पिलाने से बच्चे का पेट और आंतें साफ होती हैं। यह विटामिन ए से भरपूर होता है। शशिभूषण ने बताया कि समुदाय में महिलाओं का समूह बनाकर इन सभी विषयों पर चर्चा करें कि मां का दूध पिलाने से शिशु को 6 माह तक सम्पूर्ण आहार मिलता है। यह दस्त व निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाता है। यह बच्चे को आसानी से पच जाता है। यह बच्चे के मानसिक विकास में सहायक है। इससे परिवार को यह फायदा होता है बाज़ार से आहार खरीदने में खर्च होने वाला पैसा बचता है। इसे तैयार करने के लिए आपको बर्तन और ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती है।
स्तनपान प्रसव के बाद मां के खून के बहाव को रोकता है
ब्लॉक कम्यूनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम) प्रद्युम्न ने बताया कि स्तनपान प्रसव के बाद मां के खून के बहाव को रोकता है। इससे मां में आत्मविश्वास आता है। यह एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक का भी काम करता है। यह मां में खून की कमी होने से बचाता है। आशा कार्यकर्ता परिवार वालों को बताएं कि वे मां को स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे को 6 माह तक ऊपर का कुछ भी न दें यहां तक कि पानी भी नहीं, क्योंकि मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है। बोतल से दूध न पिलाएँ क्योंकि बोतल से दूध पिलाने पर बच्चा स्तन को चूसना भूल सकता है ऐसा करने से वह आसानी से बीमारियों की चपेट में आ सकता है।