लखनऊ। ब्रेस्ट कैंसर के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। युवतियों में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। पहले के समय में यह बीमारी 50 साल से ऊपर की महिलाओं में होता था, लेकिन आज यह 30 से 40 साल के उम्र की महिलाओं में देखने को मिल रही है। यह जानकारी गोमती नगर स्थित हेल्थ सिटी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. वैभव खन्ना ने दी है।
स्तनपान कम कराना बीमारी का कारण
डॉ. खन्ना ने बताया कि युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर तेजी से फैलता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि महिलाएं बच्चे को स्तनपान कम करती हैं। ब्रेस्ट कैंसर होने के बाद महिलाएं ऑपरेशन तो कराती हैं लेकिन सुंदर भी दिखना चाहती हैं। ऐसे में प्लास्टिक एवं माइक्रोवैस्कुलर सर्जन की आवश्यकता होती है।
कैंसर को निकाल लगाते हैं टिश्यू
ब्रेस्ट कैंसर के ऑपरेशन के बाद पुन: ब्रेस्ट को बनाया जाता है। ब्रेस्ट के जिस हिस्से से कैंसर को निकाला जाता है, उस स्थान पर टिश्यू लाया जाता है और उसे उसी आकार में लाने के लिए ब्रेस्ट इंप्लांट का प्रयोग किया जाता है। आकार के बाद फाइनल शेप के लिए टैटूयिंग विधि का इस्तेमाल किया जाता है। इससे महिलाओं में हीन भावना नहीं आती और उनमें पुन: सेल्फ कॉफीडेंस आता है।
दो तरीके का करते हैं इस्तेमाल
डॉ. खन्ना ने बताया कि ऑपरेशन भी दो तरीके से किया जाता है। एक तो कैंसर को निकालकर ब्रेस्ट का आकार तुरंत दे दिया जाता है। इस तरह के ऑपरेशन में करीब 8 ये 10 घंटे का समय लगता है। वहीं दूसरे ऑपरेशन में 5 से 6 घंटे का समय लगता है। इसमें कैंसर निकालने के बाद 6 माह तक इंतजार किया जाता है कि कहीं कैंसर दोबारा तो नहीं फैल रहा। उसके बाद ब्रेस्ट का आकार दिया जाा है।
कैसे होता है स्तन कैंसर
डॉ. वैभव खन्ना ने कहा कि स्तन कैंसर के बारे में जानने के लिए शरीर रचना के बारे में जानना बहुत जरूरी है. स्तन शरीर का एक अहम अंग है। स्तन का मुख्य कार्य अपने दुग्ध उत्पादक ऊतकों (टिश्यू) के माध्यम से दूध बनाना है। ये टिश्यू सूक्ष्म वाहिनियों (डक्ट) के जरिये निप्पल से जुड़े होते हैं। इसके अलावा इनके चारों ओर कुछ अन्य टिश्यू, फाइब्रस मैटेरियल, फैट, नाड़ियां, रक्त वाहिकाएं और कुछ लिंफेटिक चैनल होते हैं, जो स्तन की संरचना को पूरा करते हैं। यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि ज्यादातर स्तन कैंसर डक्ट में छोटे कैल्शिफिकेशन (सख्त कण) के जमने से या स्तन के टिश्यू में छोटी गांठ के रूप में बनते हैं और फिर बढ़कर कैंसर में ढलने लगते हैं। इसका प्रसार लिंफोटिक चैनल या रक्त प्रवाह के जरिये अन्य अंगों की ओर हो सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
– किसी स्तन में या बाहों के नीचे गांठ
– किसी स्तन के आकार, आकृति या ऊंचाई में अचानक कोई बदलाव दिखना
– स्तन या निप्पल का लाल हो जाना
– स्तन से साफ या खून जैसे द्रव का बहना
– स्तन के टिश्यू या त्वचा का ज्यादा समय तक सख्त बने रहना
– स्तन या निप्पल की त्वचा पर कुछ अलग दिखना या अनुभव होना (डिंपल दिखना, जलन होना, लकीरें दिखना या सिकुड़न अनुभव होना)
– स्तन का कोई हिस्सा बाकी हिस्सों से अलग दिखाई देना
– स्तन की त्वचा के नीचे कहीं सख्त अनुभव होना
इन लक्षणों में से एक या एक से ज्यादा लक्षण दिखने पर तुरंत जांच करा लेनी चाहिए। जल्दी पता लगने से बीमारी को बेहद कम इलाज और कम जटिलताओं के साथ ठीक किया जा सकता है।