लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने केंद्रीय आयुष मंत्री के एक कार्यक्रम में दावा किया था कि आयुर्वेदिक दवाओं की इतनी अधिक आपूर्ति की गई है कि उन्हें रखने के लिए अस्पताल में जगह ही नहीं बची है। अब मंत्री जी के दावों की पोल खोल रहा है टूडिय़ागंज के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल।
25 लाख का है बजट
जी हां यहां के मरीजों को दवा लेने के लिए बाहर दुकानों का सहारा ही है। आयुर्वेद की मूलभूत दवाओं का तो पिछले तीन माह से टोटा है। यह समस्या पनप रही है क्योंकि कच्ची दवाओं के लिए अभी तक टेंडर नहीं हुआ है। टूडिय़ागंज आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुदीप बेदार ने कहा कि कच्ची और पक्की दवाओं की खरीद के लिए करीब 25 लाख रुपए का कॉलेज का वार्षिक बजट है। कुछ दवाओं की कमी है। उसे जल्द पूरा किया जाएगा। टेंडर के संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
10 माह से नहीं बच्चों की दवा
आयुर्वेदिक कॉलेज में डायबिटीज से लेकर बच्चों के इलाज की मूलभूत दवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। इन दवाओं में कब्ज के मरीजों को दी जाने वाली त्रिफला चूर्ण, कुष्ठ व लिवर की आरोग्य वर्धनी वटी, दुर्बल व कमजोर मरीज के लिए शतावरी चूर्ण व अश्वगंधा चूर्ण, मूत्र एवं डायबिटीज के लिए चंद्रप्रभा वटी, बच्चों की मूलभूत दवा बालचार्तुभद्र चूर्ण, पेट में कीड़े मारने की दवा कृमि मुदगर रस, खांसी की दवा लंवगादि वटी, एलर्जी की हरिद्रा खंड आदि शामिल हैं। बच्चों की दवाएं तो पिछले 10 माह से अधिक समय से नहीं मिल पा रही हैं। अभी तक टेंडर नहीं हुआ आयुर्वेद अस्पतालों में कच्ची दवाओं की आपूर्ति के लिए अभी तक टेंडर नहीं हो सका है।
दवाओं की आपूर्ति ठप
टेंडर न होने से कच्ची दवाओं की आपूर्ति काफी समय से ठप है। इससे दवाओं का निर्माण भी नहीं हो पा रहा है। वहीं, केंद्रीय आयुष मंत्री के हाल में ही केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में हुए कार्यक्रम में आयुष मंत्री धर्मसिंह सैनी ने कहा था कि मरीजों को सभी दवाएं मिल रही हैं। अस्पतालों और डिस्पेंसरी में दवा रखने के लिए जगह नहीं बची है।