लखनऊ। किडनी से जुड़ी बीमारी भारत में तेजी से पांव पसार रही है। किडनी के रोगों के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के साथ ही आयुष चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिलकर काम करना होगा। उक्त बातें रविवार को नई दिल्ली एम्स के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके यादव ने मोहनलालगंज के विमलार्जुन नगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ आयुष मेडिकल साइंसेस एंड हॉस्पिटल में ‘किडनी की बीमारी में आयुर्वेद की उपयोगिता’ विषय पर राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में कही। कार्यक्रम का शुभारम्भ आयुर्वेद के जनक धनवन्तरी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर उद्घाटन किया गया।
करानी चाहिए जांच
समय-समय पर गुर्दे की बीमारी से संबंधित जांच करवानी चाहिए, खासकर 40 वर्ष की उम्र पार करने वाले लोगों को यूरिन, क्रिटेनाइन, यूरिया, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि की जांच जरूर करानी चाहिए। इनके अलावा ऐसे लोगों को ज्यादा संजीदा रहना चाहिए, जिनके परिवार में पहले से किसी को किडनी की बीमारी रही हो। यह जानकारी पीजीआई के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. नारायण प्रसाद ने दी।
समय पर जांच बचा सकता है बीमारी से
डॉ. नारायण ने बताया कि हर वर्ष 40 से 50 हजार नए किडनी के मरीजों को डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में संसाधन नाकाफी साबित हो रहे हैं। यदि समय पर किडनी की जांच कराते रहे तो बीमारी से बचा जा सकता है। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीज किडनी की जांच जरूर कराएं और सजग रहें।
एम्स दिल्ली के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके यादव ने कहा कि यदि आयुर्वेद मॉर्डन मेडिसिन में खुद को शामिल करना चाहता है तो शोध पर ध्यान दें। क्योंकि जब शोध होते हैं तो मरीज दवाओं को आसानी से ग्रहण कर लेता है। दवा खाने में उसे हिचकिचाहट नहीं होती है। आयुर्वेद में बहुत सी दवाएं अच्छी हो सकती हैं, इसमें कोई शक नहीं है। पांच हजार पर एक किडनी डॉक्टर है।
डायलिसिस मशीन का उद्घाटन
मोहनलालगंज के विमलार्जुन नगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ आयुष मेडिकल साइंसेस एंड हॉस्पिटल में ‘किडनी की बीमारी में आयुर्वेद की उपयोगिता’ विषय पर राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार का आयोजन रविवार को हुआ। यहां पर डॉ. नारायण मुख्य अतिथि रहे। उनके अलावा दिल्ली एम्स से डॉ. आरके यादव, अस्पताल के प्राचार्य डॉ. प्रमोद मालवीय, विशेषज्ञ डॉ. आरसी यादव, केजीएमयू सीवीटीएस के डॉ. शैलेंद्र सिंह, डॉ. प्रियंका व अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे। इस मौके पर अस्पताल परिसर में दो डायलिसिस मशीनों का उद्घाटन हुआ। डॉ. आरसी यादव ने बताया कि पहली बार आयुष अस्पताल में डायलिसिस मशीन लगी है।
कारगर दवाएं हैं आयुर्वेद में
टूडिय़ागंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुदीप बेदार ने बताया कि शरीर में टॉक्सिन्स बनते हैं। किडनी का काम इन टॉक्सिन्स को यूरिन के साथ बाहर निकालने का होता है। आयुर्वेद के हिसाब से आहार-विहार पर लोगों को विशेष ध्यान देना चाहिए। लोगों को किडनी को बेहतर रखने के लिए फॉस्ट फूड का प्रयोग कतई नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद में पुनर्नवा, गोक्षुर, पंचतृणमूल क्वाथ, वरुण शिग्रु क्वाथ, शिलाजीत आदि काफी दवाएं हैं, जो किडनी के लिए काफी फायदेमंद रहती है। साथ ही योग, पंचकर्म से भी इसका इलाज संभव है।
ये रहे मौजूद
डॉ. आरके यादव, डॉ. नारायण प्रसाद, डॉ. एसएस बेदार, डॉ. शैलेन्द्र यादव, डॉ. एके भट्ट, डॉ. आरसी यादव, डॉ. प्रियंका यादव, डॉ. मधुलिका यादव, डॉ. संदीप यादव, डॉ. वीरेन्द्र यादव, डॉ. दिनेश यादव, डॉ. राजीव गुप्ता एवं इन्सटीट्यूट ऑफ आयुष मेडिकल सांइसेस एवं हास्पिटल के समस्त छात्र, छात्राओं ने भाग लिया।