आयुर्वेद में कई रोगों का संपूर्ण इलाज है। आदिकाल से ही आयुर्वेद को माना जाता है। आज इस लेख में हम आपको लौध्र के बारे में बताएंगे। लौध्र आयुर्वेदिक वनस्पति औषधि है। संस्कृत में इसे लोध्र, तिल, हस्ती, हेमपुष्प के नाम से भी जानते हैं। इसकी छाल, रस, चूर्ण आदि प्रमुख रूप से आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से प्रयोग में लिए जाते हैं। जानें इसके बारे में –
फायदे
त्वचा रोगों के अलावा मसूढ़ों से खून निकलना, पायरिया, आंखों से जुड़ी समस्या, दस्त, कान बहना, सूजन, घाव, बुखार व महिलाओं मेें अनियमित माहवारी, श्वेतप्रदर या गर्भपात में उपयोगी है। इसका इस्तेमाल दवा बनाने में भी होता है।
पोषक तत्व
एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेशन गुणों से युक्त लौध्र कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसके पोषक तत्त्व रक्त संबंधी विकारों को दूर करने में उपयोगी है। यह वात-पित्त और कफ के संतुलन को बनाए रखता है। इसका स्वाद कसैला और कषाय होता है।
इस्तेमाल
आमतौर पर इसकी छाल को प्रयोग में लेते हैं। जिसे 3-5 ग्राम की मात्रा में ले सकते हैं। वहीं इससे तैयार काढ़ा 50-100 मिलीलीटर की मात्रा में पिया जा सकता है। इसके बीजों से तैयार चूर्ण की 1-3 ग्राम की मात्रा ले सकते हैं।
ध्यान रखें
महिला संबंधी रोगों में खासतौर पर उपयोगी है। क्योंकि यह सीधे तौर पर हार्मोन्स पर काम करती है। ऐसे में यदि पुरुष इसका प्रयोग करना भी चाहें तो चिकित्सकीय सलाह के बाद ही करें। सीमित मात्रा से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। वर्ना हार्मोन्स में गड़बड़ी हो सकती है। गर्भवती महिलाएं डॉक्टरी सलाह के बाद ही इसे लें।