लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित मानकों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय प्रशासन की चुप्पी को तोडऩे और कानूनी बने नियमों की ओर मोडऩे के लिए ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स की उत्तर प्रदेश इकाई ने भी कमर कस ली है।
यह लिया निर्णय
ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ पैथालॉजिस्ट एंड माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट्स उप्र इकाई की बैठक रविवार को हुई। यह बैठक रिवर बैंक कॉलोनी आईएमए भवन में संपन्न हुई। बैठक में यह फैसला किया गया कि प्रदेश में चल रही मानकविहीन पैथालॉजी को खुद ही बंद करवाया जाएगा। बता दें कि ऐसी पैथालॉजी की रिपोर्ट में गड़बड़ी की आशंका रहती है और मरीजों की जान का खतरा भी बना रहता है। इस दौरान यहां पर प्रदेश भर के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे।
प्रशासन नहीं कर रहा कोई कार्रवाई
एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. पीके गुप्ता ने यहां पर बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार पैथालॉजी चलानेए जांच रिपोर्ट पर दस्तखत करने का अधिकार पैथोलॉजी में मास्टर डिग्री डॉक्टर को ही है। लेकिन उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अवैध रूप से मानकों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर पैथालॉजी और कलेक्शन सेंटर संचालित हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ये सेंटर आम आदमी की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित मानकों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ प्रशासन कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है।
पैथोलॉजी को बंद करवाना ही एसोसिएशन का लक्ष्य
पूर्व में भी शासन स्तर पर पत्राचार बैठक में विभिन्न जिलों से आए पदाधिकारियों ने अपनी समस्याएं रखीं। उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ. हीरालाल शर्मा की अध्यक्षता में बैठक हुई। डॉ. हीरालाल ने बताया कि मानकविहीन अवैध रूप से चल रहीं पैथोलॉजी को बंद करवाना ही एसोसिएशन का लक्ष्य होगा। उन्होंने बताया कि एसोसिएशन पहले ही इस संबंध में प्रमुख सचिवए सभी जिलों के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर मानकविहीन पैथालॉजी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा चुका है।