लखनऊ। संक्रमण पर रोक लगाने के लिए केजीएमयू प्रशासन ने कमर कस ली है। इसके लिए केजीएमयू प्रशासन अमेरिकन कंपनियों की मदद ले रही है। अब अमेरिकन कंपनियों की मदद से संक्रमण को राकने की तैयारी की जा रही है। सबसे पहले अमेरिकन तकनीक के माध्यम से वेंटिलेटर यूनिट को विसंक्रमित किया जाएगा। खास बात तो यह है कि इसके लिए एसजीपीजीआई का भी सहयोग मिल रहा है। इसके लिए बाकायदा संक्रमण के काम में लगे डॉक्टर व कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
दो मरीजों की मौत
गौरतलब है कि केजीएमयू के ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट में भर्ती दो मरीजों में कैंडिडा आरिस फंगस पाया गया था। इससे दो मरीजों की मौत भी हो चुकी है। वहीं वेंटिलेटर पर भर्ती उन्नाव रेप पीडि़ता में गंभीर संक्रमण एंटेरोकोकस बैक्टीरिया की पुष्टि हो चुकी है। इस यूनिट में 20 बेड हैं। वेंटिलेटर यूनिट में गंभीर संक्रमण की पुष्टि के बाद केजीएमयू ने यूएसए (यूनाइटेंड स्टेट ऑफ अमेरिका) की एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) पंजीकृत कंपनी से मदद लेगा। ट्रॉमा सेंटर के ऑपरेशन थिएटर, वार्ड को विसंक्रमित किया जाएगा। उसके बाद वेंटिलेटर यूनिट को विसंक्रमित कराया जाएगा।
रोगों से लडऩे की ताकत कम होती है
प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि केजीएमयू में करीब 4000 बेड हैं। इनमें 200 वेंटिलेटर हैं। डॉ. संदीप ने बताया कि वेंटिलेटर पर बेहद गंभीर मरीज भर्ती किए जाते हैं। इनमें रोगों से लडऩे की ताकत कम होती है। संक्रमण से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है। उन्होंने बताया कि पीजीआई की टीम से भी मदद ली जाएगी। केजीएमयू हॉस्पिटल इनफेक्शन कंट्रोल टीम को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। वहीं अमेरिका की कंपनी विसंक्रमण का काम करेगी।