लखनऊ। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को अपर श्रमायुक्त से मिला। मुलाकात के बाद अपर श्रमायुक्त को आउटसोर्सिंग से तैनात लगभग 7000 कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय के बारे में बताया। संघ की बातों को सुनकर उन्होंने 10 सेवा प्रदाता कम्पनियों को नोटिस जारी करने के निर्देश दे दिए हैं। यह जानकारी संघ के अध्यक्ष रितेश मल्ल ने दी है।
श्रम विभाग को सौंपा था पत्र
श्रम विभाग को संघ के अध्यक्ष रितेश मल्ल और उप महामंत्री मनीष कुमार मिश्र ने पत्र लिखकर में दस सेवा प्रदाता कम्पनियों की सूची सौंपी थी। इस पत्र में कम्पनियों द्वारा केजीएमयू में तैनात कर्मचारियों के साथ की जा रही नाइंसाफी का विवरण बताया है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि कर्मचारियों को ईपीएफ रसीद, यूएएन नंबर तथा ईएसआई कार्ड कुछ भी नहीं दिया गया है, जबकि इसके लिए प्रतिमाह वेतन से बराबर कटौती की जाती है। यह भी आरोप लगाया गया है कि कम्पनियों ने निर्धारित वेतन से कम वेतन का भुगतान किया है और नियम के अनुसार कर्मचारियों के लिए चार साप्ताहिक अवकाश माह में देना जरूरी हैं लेकिन कर्मचारियों की पूरे माह 30 दिन ड्यूटी लगाई जाती है।
यह भी आरोप
कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि एक कम्पनी द्वारा बैंक में वेतन भुगतान करने के बाद, 1500 रुपये वापस नकद ले लिए जाते हैं। पत्र में की गई शिकायत में यह भी कहा गया है कि 2016 तक 100 करोड़ के ईपीएफ घोटाले की कमिश्नर द्वारा जांच की गई थी, उसके बाद भी अभी तक कम्पनियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कर्मचारियों का आरोप है कि इस विषय में कई बार केजीएमयू के कुलसचिव, कुलपति के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से शिकायत की गई लेकिन इस विषय में ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे कर्मचारियों को राहत मिल सके।