लखनऊ। राम मनोहर लोहिया के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने एक और कामयाबी हासिल कर ली है। डॉक्टरों ने किशोरी की रीढ़ की हड्डी को सीधा करने में सफलता हासिल की है। बताया गया है कि जांच में इडियोपैथिक डोरसो लंबर इस्कोलियोसिस नामक बीमारी की पुष्टि हुई थी। किशोरी की रीढ़ की हड्डी लगातार चाल साल से टेढ़ी होती जा रही थी।
यह है मामला
बाराबंकी निवासी शुभी सिंह (13) को पीठ में दर्द की शिकायत हुई। करीब दो साल से रीढ़ की हड्डी बाहर की ओर निकलने लगी। इस पर परिवारीजन बेटी को दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए। वहां जांच में इडियोपैथिक डोरसो लंबर इस्कोलियोसिस की पुष्टि हुई। इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी धीरे-धीरे टेढ़ी होने लगती है। मरीज को चलने-फिरने में परेशानी होती है। मरीज आगे की ओर झुक जाता है और पीठ में दर्द भी महूसस होता है।
साढ़े 12 लाख रुपये का आता खर्च
अस्पताल ने ऑपरेशन पर करीब साढ़े 12 लाख रुपये का खर्च बताया। तो परिवारीजनों ने असर्मथता जाहिर की। नतीजतन बिना ऑपरेशन कराए परिजन लौट आए। चार महीने पहले शुभी का लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह व डॉ. राकेश सिंह के निर्देशन में इलाज शुरू हुआ।
रीढ़ के दोनों तरफ रॉड
डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि करीब छह घंटे ऑपरेशन चला। इसमें रीढ़ की हड्डी के पास लंबा चीरा लगाया गया। उसके बाद रीढ़ के दोनों तरफ रॉड लगाई। उसे 12 स्क्रूसे कस दिया। डॉ. राकेश ने बताया कि इस दौरान मरीज को लकवा समेत दूसरी समस्या का खतरा था। मरीजों को दूसरी परेशानियों से बचाने के लिए मशीन से अंगों की निगरानी की जा रही है। सबसे ज्यादा पैरों में लकवे का खतरा था।
हर महीने एक्सरे कराने की सलाह
डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि ओपीडी में शुभी का एक्सरे और एमआरआई जांच कराई गई। फिर हर महीने एक्सरे कराने की सलाह दी। तीन महीने के एक्सरे देखने के बाद बीमारी के तेजी से बढऩे का पता चला। इसके बाद ऑपरेशन का फैसला किया गया।
मिली मदद
डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि ऑपरेशन पर करीब चार लाख रुपये का खर्च बताया गया। मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए अर्जी लगाई। वहां से करीब तीन लाख रुपये का बजट मिला। बाकी करीब एक लाख रुपये की रकम परिवारीजनों ने वहन की।
ये है ऑपरेशन करने वाली टीम
डॉ. राकेश सिंह, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. सुरेंद्र गुप्ता, संस्थान के निदेशक व एनस्थीसिया विभाग के डॉ. दीपक मालवीय, डॉ. मनोज गिरी, डॉ. सूरज, स्टॉफ नर्स पुरुष नरेंद्र, नर्स वंदना मौजूद थीं।