लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार का पायलट प्रोजेक्ट के तहत 10 ई-हॉस्पिटल बनाने के प्रस्ताव पर फार्मासिस्टों ने नाराजगी व्यक्त की है। राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ ने आपत्ति दर्ज करते हुए हॉस्पिटल में बिना फार्मेसिस्ट दवा वितरण को जनता के लिए जानलेवा बताया और फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता भी प्रस्तावित करने की मांग की है।
दवा की गुणवत्ता प्रभावित होगी
स्टेट फार्मेसी कौंसिल के पूर्व चेयरमैन और महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि प्राविधानों के अनुसार औषधियों का वितरण और भंडारण मात्र फार्मेसिस्ट ही कर सकता है, एक्ट और नियम मरीजों के हितों को देखते हुए बनाए गए हैं। औषधियों के भंडारण के लिये अलग-अलग तापमान एवं स्थान निर्धारित हैं, उचित तापमान और उचित स्थान पर औषधियां ना रखे जाने पर उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी, साथ ही ऐसी औषधियां जानलेवा साबित हो सकती हैं।
यहां हुईं वेंडिंग मशीनें फ्लाप
उन्होंने कहा कि दवा को भंडारित व वितरित करने के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता होती है और लाइसेंस के लिए पंजीकृत फार्मेसिस्ट जरूरी है। सरकारी चिकित्सालयों को इस आधार पर लाइसेंस से मुक्त किया गया है कि वहां पर फार्मेसिस्ट अनिवार्य रूप से नियुक्त हों। दिल्ली सरकार द्वारा भी पूर्व में दवाओं की वेंडिंग मशीने लगाने का कार्य शुरू किया गया था जो पूरी तरह फ्लॉप हुआ।
जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
महासंघ के जनपद अध्यक्ष एसएन सिंह ने कहा कि बिना फार्मेसिस्ट दवा वितरण असंभव और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा, इसलिए परियोजना में फार्मेसिस्ट अनिवार्य होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार दवा को सामान्य प्रयोग की वस्तु समझ रही है। ये दवा है जरा सी गलती से गंभीर नुकसान भी हो सकता है। विभिन्न दवाओं के साथ अन्य दवाएं, भोजन आदि अलग अलग सावधानी के साथ लेंना होता है। अत: बिना काउन्सलिंग एवं औषधियों की जानकारी प्राप्त किये दवा लेना फायदे की जगह नुकसानदायक सिद्ध होगा।
फार्मेसिस्ट के देखरेख में हो
वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे पी नायक, जिला मंत्री प्रह्लाद कन्नौजिया और सचिव जीसी दुबे ने कहा कि दवा की मशीनें उचित डोज और उचित मात्रा में औषधियां नहीं वितरित कर सकती हैं। इसलिए इसे मशीनी बनाना उचित नही लगता फिर भी यदि मशीनें लगानी भी हैं तो फार्मेसिस्ट के देखरेख और पर्यवेक्षण में ही इन्हें चलाना उचित और जनहित में होगा।
फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता की मांग
प्रदेश के दस ग्रामीण चिकित्सालयों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत ई- हॉस्पिटल के रूप में चलाने पर सरकार विचार कर रही है। जिसमें अधिकांश दूरस्थ जनपद एवं स्थान हैं, जहां लोग तकनीकी रूप से अभी बहुत सक्षम नही है। महासंघ ने परियोजना में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता की मांग करते हुए प्रस्ताव संसोधित करने की मांग की।