लखनऊ। कैंसर का नाम आते ही हम सब परेशान हो जाते हैं। अब कैंसर की श्रेणी में एक और कैंसर है आंख का कैंसर इसे हम रेटिनोब्लास्टोमा कहते हैं। इस बीमारी का शुरुआती समय में पता चल जाए तो इसका पूर्ण इलाज संभव होता है। यह बीमारी 15 से 20 हजार बच्चों में से एक बच्चे ने पाया जाता है। रेटिनोब्लास्टोमा बच्चों की आंख का सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है।
उक्त बातें रेटिनोब्लास्टोमा जागरुकता सप्ताह के अवसर पर एक कार्यक्रम के दौरान नेत्र विभाग के डॉक्टर संजीव गुप्ता व बाल रोग विभाग के डॉ. निशांत कुमार ने कही। रेटिनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह मई के तीसरे सप्ताह मनाया जाता है। यह कार्यक्रम केजीएमयू के नेत्र विभाग द्वारा ओल्ड ओपीडी में कैनकिड्स संस्था के सहयोग से आयोजन किया गया था।
बीमारी का सही समय में उपचार किया जाए तो इसका इलाज संभव
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने वहां उपस्थित आमजनों एवं मरीजों को आंख के कैंसर (रेटिनोब्लास्टोमा) के लक्षण एवं उसके उपचार के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि यदि उक्त बीमारी का सही समय में उपचार किया जाए तो इसका इलाज संभव है तथा केजीएमयू में इसके उपचार की निशुल्क सुविधा भी उपलब्ध है।
हो जाते हैं ठीक
नेत्र विभाग के डॉ. संजीव गुप्ता एवं बाल रोग विभाग के डॉ. निशांत कुमार ने कहा कि अमूमन यह कैंसर नवजात शिशु से लेकर पांच साल तक के बच्चों में पाया जाता है। 95 प्रतिशत कैंसर से ग्रस्त बच्चे बिल्कुल ठीक हो सकते हैं अगर सही समय पर कैंसर का पता चल जाए और उचित रेटिनोब्लास्टोमा सेंटर में इलाज हो।
ये हैं लक्षण
डॉ. संजीव गुप्ता ने रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षण बताते हुए कहा कि बच्चों में तिरछी आंख (भैंगापन) के साथ पुतली का सफेद होना, आंख में लाली, सूजन का दर्द का रहना। आंख के स्थान पर गांठ बन जाना तथा आंख की पुतली का चमकना इसके प्रमुख लक्षण हैं। कार्यक्रम का समापन रेटिनोब्लास्टोमा का इलाज कर सामान्य जीवन जीने वाले बच्चों और उनके परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया तथा आमजन को इस बीमारी के प्रति जागरूक किए जाने का अनुरोध किया गया।
ये थे मौजूद
कार्यक्रम में बाल रोग विभाग की प्रो. अर्चना कुमार, प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के डॉ. पूरन चन्द्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एसएन शंखवार, नेत्र विभाग के डॉ. अरुण कुमार शर्मा, डॉ. गौरव कुमार, डॉ. विशाल कटियार तथा कैनकिड्स संस्था की डॉ. पुष्पा भाटिया समेत विभाग के अन्य चिकित्सक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।