लखनऊ। विधानसभा में शुक्रवार को विश्वविद्यालयों में मेडिकल कालेजों में नियुक्ति में आरक्षण के मुद्द्े पर भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों के बीच तीखी नोक-झोंक हुयी। सपा-बसपा के पुरजोर विरोध के बाद संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने घोषणा की कि मेडिकल कालेजों में जो भी नियुक्तियां हो रही हैं, उन्हें कानून के अनुसार ही किया जाएगा।
विज्ञापन में संशोधन करने की भी बात
उन्होंने प्रदेश के पांच मेडिकल कालेजों में हो रही नियुक्तियों के विज्ञापन में संशोधन करने की भी बात कही। नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने प्रश्न काल के तुरन्त बाद नियम-311 के तहत विश्वविद्यालयों और मेडिकल कॉलेजों में होने वाली नियुक्ति में ओबीसी और एससी आरक्षण खत्म करने का मामला उठाया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने यूजीसी और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की।
जिसके कारण ओबीसी और एससी को उनका आरक्षण नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा कि भर्तियां विभाग के हिसाव से रोस्टर बनाकर की जाएं। उन्होंने कहा कि जो भी नियुक्तियां हुई हैं, उन्हें निरस्त किया जाए। सरकार एन0 नागराज के मामले में संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले का उल्लंघन कर रही है।
इसलिए भर्ती प्रक्रिया को रोका जाए
बहुजन समाज पार्टी विधान मण्डल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि प्रदेश के पांच मेडिकल कालेजों में 360 पदों पर होने वाली भर्तियों में उचित आरक्षण नहीं मिला है, इसलिए भर्ती प्रक्रिया को तुरत रोका जाए। उन्होंने कहा कि जो केंद्र में रोस्टर लागू होगा, वह प्रदेश में नहीं लागू होगा। इस मुद्दे पर पूरे दिन की चर्चा स्वीकार की जाए।
जरूरी हुआ तो विज्ञापन आदि में संशोधन
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने जवाब देते हुए कहा कि दोनों दलों की बात सही नहीं है। बसपा ने वर्ष 2010 में शासनादेश जारी कर यह व्यवस्था लखनऊ के छत्रपति शाहूजी महाराजा चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ मेडिकल कालेज में लागू करवाया था। इसी तरह सपा सरकार में मुख्य सचिव रहे आलोक रंजन ने जनवरी 2016 में यह व्यवस्था लागू करवाई। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा मेडिकल कालेजों में जो भी भर्तियां होंगी संविधान से ही होंगी। अगर जरूरी हुआ तो विज्ञापन आदि में संशोधन कर दिया जाएगा।