डेस्क। हम आपको बताने वाले हैं कि कैंसर अपने पांव तेजी से पसार रहा है। इस बीमारी का नाम सुनते ही लोग सिहर उठते हैं। कैंसर का सबसे बड़ा नकारात्मक पहलू यह है कि सही ईलाज होने के बाद भले ही एक बार कैंसर होने पर आप ठीक हो जाए लेकिन यह फिर से होगा या नहीं इसकी कोई गारंटी है ही नहीं।
ब्रेस्ट कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, ब्लड कैंसर, लंग कैंसर और गले का कैंसर इत्यादी तो आम हो चुके हैं लेकिन अभी भी इस खतरनाक बीमारी के जाल में ऐसे बहुत से बॉडी पार्ट हैं, जिनकी पूर्ण जानकारी हमें है ही नहीं।
इन दिनों यह शरीर के उन भागों में फैल रहा है जहां कभी बहुत कम इसके चांस हुआ करते थे जैसे कि युनेरी ब्लैडर यानी कि मुत्राश्य, कान यहां तक कि यौन अंगों तक भी। पुरुषों और महिलाओं में यूरेनरी ब्लैडर एक तरह का मांसपेशियों का कोष है जो कि दोनों के शरीर में यूनेरी फंक्शन का क्रियान्वयन करता है। महिलाओं और पुरुषों के अलग-अलग शारारिक ढांचे के चलते ब्लैडर कैंसर के कारक भी दोनों में अलग-अलग होते हैं।
क्या है ब्लैडर कैंसर
जिस तरह ब्रेन ट्यूमर, जिसका मुख्य संकेत है सिर में बार-बार दर्द होना। ठीक इसी के उलट ब्लैडर कैंसर के संकेत बहुत सूक्ष्म होते हैं, अधिकतर तो इन संकेतों को यूरिनरी इंफेक्शन के तौर पर भी देख जाता है। इसलिए समय रहते इस कैंसर का पता लगना बहुत जरूरी है।
महिलाओं में ब्लैडर कैंसर के मुख्य संकेत है, यूरिनरी इंफेक्शन होना, योनी में जलन होना, डार्क यूरीन आना, यूरीन में खून आना और बार-बार यूरिनरी इंफेक्शन होना।
ब्लैडर कैंसर से पीडि़त लोगों में इसके बहुत से अलग-अलग कारण हो सकते हैं। महिलाओं में स्मोकिंग के चलते ही इस कैंसर का सबसे बड़ा रिस्क बना रहता है। क्योंकि सिगरेट में मौजूद टॉक्सिन इस कैंसर के ट्श्यूज को बढ़ा देते है। बार-बार युनेरी इंफेक्शन होने के केस में ब्लैडर कैंसर का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। ऐसे में अगर आपको बार-बार युनेरी इंफेक्शन हो रहा है तो आप एक बार अच्छे से चेकअप जरूर करवा लें। अगर आपके परिवार में आपनी दादी मां, मां या फिर कोई और महिला को अगर ब्लैडर कैंसर हो चुका है तो संभावित है कि आप भी इस बीमारी के शिकार हो जाएं।
ब्लैडर कैंसर होने पर इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितना फैल चुका है। रेडिशियन थैरेपी, कीमोथैरपी और सर्जरी के जरिए इसके ट्यूमर को हटाया जा सकता है। जिन महिलाओं को ब्लैडर कैंसर होता है और उसका सही ट्रीटमेंट होने के बाद भी वह इंफर्टिलिटी के हाई रिस्क पर रहती है। आमतौर पर महिलाओं में व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या देखी जाती है जो कि यीस्ट इंफेक्शन का संकेत माना जाता है।