लखनऊ। एम्बुलेंस चालक और अस्पताल के दलालों द्वारा मरीजों और तीमारदारों को बरगलाकर जबरन धन उगाही का मामला तो सामने आया है। लेकिन इस बार एक एम्बुलेंस चालक के चक्कर में आकर एक महिला की मौत हो गई। यही नहीं पीडि़त परिजनों ने महिला के शरीर से महत्वपूर्ण अंग निकालने का भी आरोप लगाया है। यह आरोप राजधानी अस्पताल पर लगाया गया है।
वहीं इस मामले की शिकायत अमेठी की शिवपती सरोज ने मामला दर्ज कराया है। वहीं पीजीआई थाना के एसएचओ रविंद्र नाथ राय का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है। जांच की कार्रवाई की जा रही है जो भी दोषी होगा उसे गिरफ्तार किया जाएगा। पीडि़त पक्ष ने शिकायती पत्र में इलाज में लापरवाही और महत्वपूर्ण अंग निकालने का आरोप लगाया है।
यह है मामला
अमेठी निवासी निर्मला देवी को बुखार के चलते 19 अक्टूबर 2017 की रात परिजनों ने शहर के ही सूर्या अस्पताल में रात 9 बजे भर्ती कराया था। जहां डॉक्टर भव्य शर्मा ने इलाज के बाद लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। इस दौरान एम्बुलेंस का 2700 रुपए भी जमा करवाए गए थे। कुछ दूर चलने के बाद एम्बुलेंस चालक रामधीरज चौरसिया ने मेडिकल कॉलेज में सही इलाज ना होने का हवाला दिया। चालक ने परिजनों से कहा कि कम खर्च में बढिय़ा इलाज लखनऊ के राजधानी अस्पताल में होता है, जहां उसका परिचय भी है। चालक रामधीरज चौरसिया जबरन मरीज और तीमारदारों को पीजीआई के रायबरेली रोड आम्रपाली में रेलवे लाइंस के पास स्थित राजधानी अस्पताल ले गया।
सभी रिपोर्ट सामान्य थे
अस्पताल पहुंचने के बाद अस्पताल में तत्काल ही 6000 रुपए जमा कराए गए और भर्ती करते ही जांच शुरू कर दी गई। परिजनों के मुताबिक जांच में सभी रिपोर्ट सामान्य थे। इसी दौरान अस्पताल के ही मेडिकल स्टोर से करीब बीस हजार रुपए की दवा भी खरीदी गई। 20 अक्टूबर को फिर से 10000 रुपये और जमा कराए गए। अस्पताल की ओर से किसी भी सदस्य को निर्मला से मुलाकात करने नहीं दिया गया। परिजनों ने कहा कि दो दिन तक मुलाकात नहीं करने दिया गया था।
पेट के दाहिने और बाएं ओर बड़े-बड़े चीरे
21 अक्टूबर को अस्पताल की एक नर्स ने पहले कहा कि मरीज को केजीएमयू, पीजीआई रेफर किया जा रहा है। परिजनों ने नर्स से कहा कि मरीज को देखना है तो नर्स ने तत्काल ही मिलवाया। परिजनों ने मरीज को जब देखा तो पेट के दाहिने और बाएं ओर बड़े-बड़े चीरे लगे थे और खून बह रहा था। मरीज की मौत हो चुकी थी। परिजन वहीं पर रोने लगे।
शव ले जाना है तो सादे पेपर पर करना होगा हस्ताक्षर
अस्पताल की ओर से शव ले जाने के लिए परिजनों से कहा गया कि एक सादे पेपर कर हस्ताक्षर करना होगा। इस दौरान नर्स एक सादे कागज पर अंगूठा का निशान लेती है। उसके बाद अस्पताल ने शव को सौंप दिया। 22 अक्टूबर को शिवपति अपनी बहन का शव लेकर अमेठी पहुंचे और शव को दफना दिया।
शिकायत पर नहीं हुई थी कार्रवाई
अगले ही दिन 23 अक्टूबर को शिवपति बहन की मौत और अंग निकालने की शिकायत लेकर पीजीआई थाना पहुंची और पुलिस को प्रार्थनापत्र दिया। पुलिस ने प्रार्थनापत्र लेकर रख लिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। थकहार कर पीडि़त ने 5 मार्च को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कार्रवाई ना होता देख एक बार फिर से 11 अप्रैल को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन निराशा ही हाथ लगी। अब कोर्ट के आदेश पर पीडि़त पक्ष को न्याय मिलने की उम्मीद है।