लखनऊ। आज हम आपको प्राकृतिक चिकित्सा के बारेमें बताएंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि प्राकृतिक चिकित्सा में किसी भी प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है। प्राकृतिक चिकित्सा में उन्ही पांच तत्वों का प्रयोग किया जाता है। जैसे-जल, मिट्टी, उपवास, सूर्य किरण एवं आहार। उक्त बातें लखनऊ विश्वविद्यालय के मानव चेतना एवं योगिक विज्ञान संस्थान के प्रवक्ता डॉक्टर अमरजीत यादव ने कही।
औषधि का प्रयोग नहीं
उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवन शैली के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियों में वृद्धि हो रही है। इसको प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा में औषधि का प्रयोग नहीं होता है लेकिन इसको बिना किसी प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इससे साइड इफैक्ट हो सकता है। डॉ0 अमरजीत यादव ने बताया कि 18 नवम्बर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के उपलक्ष में राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ के सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रदेश के आयुष अस्पतालों में कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
ये है चिकित्सा, ऐसा करें
मिट्टी चिकित्सा- मिट्टी एक ऐसी प्राकृतिक औषधि है इससे मनुष्य में होने वाली पेट सम्बन्धी बीमारियों का सफल इलाज किया जा सकता है। इसके लिए जमीन के अन्दर तीन फीट नीचे की मिट्टी निकालकर उसको दो दिन तक सूर्य के प्रकाश में सुखाकर मिट्टी की पट्टी बना लेना चाहिए। इस पट्टी को सुबह चालीस मिनट तक पेट के उपर रखने से आंतों में सूजन, गैस्टिक अल्सर, कोलाइटिस की समस्याओं में आराम मिलता है।
जल चिकित्सा- कटि स्नान Spinal Bath कटि स्नान, उच्च रक्त, नस संबंधी समस्या के लिए लाभदायक होता है। इसमें विशेष प्रकार के टब में आवश्यकतानुसार ठंडे या गर्म पानी डालकर रोगी को उसमें 30-40 मिनट तक बैठा दिया जाता है। यह उपचार करते समय रोगी का सिर एवं शरीर ढका रहना चाहिए।
स्टीम बाथ- यह प्राकृतिक चिकित्सा का उपचार करने का प्रमुख साधन है। जिसके इस्तेमाल से शरीर में रोग पैदा करने वाले तत्वों को बाहर करने में मदद मिलती है। स्टीम बाथ के प्रयोग से जोड़ों का दर्द, जकडऩ एवं रक्त बिकार सम्बन्धित बीमारियों में आराम मिलता है लेकिन उक्त रक्तचाप एवं मधुमेह के रोगियों को इसका इस्तेमाल करने से पहले प्राकृतिक चिकित्सक से सलाह लें।