वर्ल्ड आयोडीन डेफिशियेंसी डिसऑर्डर डे
लखनऊ। अब तराई क्षेत्र में आशाएं घर-घर जाकर एक किट से नमक में आयोडीन की गुणवत्ता परखेंगी। इसके लिए आशाएं घर में उपयोग में लाए जाने वाले नमक का किट के माध्यम से परीक्षण कर घर के सदस्यों को उसके बारे में बताकर जागरुक करेंगी। यह कदम स्वास्थ्य विभाग ने उठाया है। बता दें कि आयोडीन की कमी के कारण जन्म लेने वाले शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है।
आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों को 5 प्रतिशत से कम करने का लक्ष्य और घरेलू स्तर पर सामान्य नमक के स्थान पर आयोडीन नमक का सेवन सुनिश्चित करने के लिए इस कार्यक्रम को सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की सम्पूर्ण आबादी पर लागू किया गया।
50 घरों के नमक की होगी जांच
राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (एनआईडीडीसीपी) के जारी किए गए 2018 के दिशानिर्देश के अंतर्गत आशाओं को अपने कार्य क्षेत्र में प्रत्येक माह एक साल्ट टेस्टिंग किट उपलब्ध कराई जाएगी, जिसके द्वारा 50 घरों के नमक की जांच की जाएगी। उपकेंद्र/प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संबंधित आशा संगिनी/एएनएम के द्वारा आशा को नमक के नमूने की जांच के सत्यापन के बाद आशाओं को भुगतान भी किया जाएगा।
जरूरी है इतना नमक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक गर्भवती महिलाओं के लिए 200-220 माइक्रोग्राम आयोडीन प्रतिदिन जरूरी है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 250 से 290 माइक्रोग्राम, एक साल से छोटे शिशु के लिए 50-90 माइक्रोग्राम प्रतिदिन, एक से 11 वर्ष तक के बच्चों के लिए 90-100 किशोरों और वयस्कों के लिए 150 माइक्रोग्राम प्रतिदिन आयोडीन जरूरी है।
डॉक्टर ने दी अपनी राय
डफरिन अस्पताल के डॉ. सालमान बताते हैं कि आयोडीन की कमी से जुड़े विकार जिसे आयोडीन डेफीशिएंसी डिसोर्डर भी कहते हैं। आयोडीन की शरीर में थाइरोइड हारमोन के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका असुंतलन बच्चे के विकास, वृद्धि व मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। बच्चे का बौद्धिक स्तर व उसका मेंटेनेंस आयोडीन की मात्रा पर निर्भर करता है।
इसलिए जब महिला गर्भवती होती है तब उसके थाइराइड की जांच की जाती है ताकि बच्चे में किसी प्रकार की कमी न हो पाए। बच्चे के जन्म के तीसरे दिन से लेकर पांचवें दिन के बीच कंजेनाइटल हाइपोथायरायडिज्म की जांच की जाती है। अगर इसमें कमी होती है तब उसका इलाज समय से जरूरी होता है क्यूंकि अगर समय से इलाज नहीं हुआ तो बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से अपंग हो सकता है।
इनमें मिलता है आयोडीन
डॉ. सलमान ने बताया कि आयोडीन एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है और एक व्यक्ति को सामान्य वृद्धि और विकास के लिए प्रतिदिन 100-150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडीनयुक्त नमक का उपयोग, इससे होने वाले विकार को रोकने का एक सरल और सस्ता उपाय है। आयोडीन अनाज, दालों, ताजे खाद्य पदार्थ, दूध, मछली, समुद्री जीव, अंडे और नमक में मिलता है।
एक अध्ययन में हुआ यह खुलासा
नवजात केमिकल हाइपोथायरायडिज्म (एनसीएच) की घटनाओं को निर्धारित करने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों से 22,000 नवजात शिशुओं के साथ किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि एनसीएच की घटनाएं दिल्ली और केरल जैसे राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में आयोडीन की कमी वाले स्थानीय जिलो में सौ गुना अधिक थी।