ब्रेड डेड होने पर लिवर व कार्निया का हुआ प्रत्यारोपण
लखनऊ। रायबरेली के ब्रेन डेड घोषित किए गए बिजली कर्मी वरिष्ठ कुमार की दान हुए लिवर से मरीज की जिंदगी बचाई जा सकती है। यहीं नहीं उनके दान किए गए आंखों से दो लोग दुनिया देख सकेंगे। रायबरेली के रहने वाले वशिष्ठ कुमार बाजपेई (40) अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके इस महादान से तीन लोगों को नया जीवन दे गए।
बुधवार को दिल्ली के अस्पताल ले जाया गया लिवर
केजीएमयू से ट्रांसप्लांट के लिए बिजलीकर्मी का लिवर बुधवार को दिल्ली के अस्पताल ले जाया गया है। इसके लिए लखनऊ में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 21 मिनट में केजीएमयू से एयरपोर्ट तक लिवर पहुंचा। ब्रेन डेड बिजलीकर्मी के परिवारीजनों ने केजीएमयू में कैडेवर (लिवर, कार्निया) दान किया। केजीएमयू से गेस्ट्रो सर्जन डॉ. अभिजीत चंद्रा, ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. विवेक गुप्ता की देखरेख में लिवर को एयर एंबुलेंस से दिल्ली के अस्पताल ले जाया गया। ग्रीन कॉरिडोर बनाकर केजीएमयू से एंबुलेंस द्वारा एयरपोर्ट पहुंचाया गया।
यह हुआ था
बछरावां में करंट लगने पर बिजली पोल गिरने पर परिजन उन्हें बीती 10 अगस्त को ट्रॉमा सेंटर में लाए थे। पांचवें दिन डॉक्टरों ने मरीज का ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद पिता-पत्नी ने अंगदान का निर्णय लिया। स्वतंत्रता दिवस पर वेंटीलेटर से हटाकर उन्हें शताब्दी लाया गया। जहां डॉक्टरों की टीम ने वशिष्ठ का लिवर व कार्निया निकाल ली। ऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट में डॉक्टरों की टीम ने लिवर दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड विलियरी सांइसेस भेजा गया। बुधवार दोपहर को परिसर के शताब्दी में ट्रांसप्लांट यूनिट ने करीब दो घंटे ऑपरेशन करके लिवर, कार्निया निकाला। लिवर दिल्ली ट्रांसप्लांट के लिए भेज दिया गया। जबकि दो कार्निया केजीएमयू नेत्र रोग विभाग में है। यहां दो मरीज वशिष्ठ की आंखों से दुनिया देखेंगे।