लखनऊ। उप्र पेडिकॉन की ओर से 39वां स्टेट कांफ्रेंस ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का रविवार को अंतिम दिन था। कार्यक्रम में बच्चों को लगने वाली वैक्सीन्स, बच्चों की पेट से संबंधित बीमारियों, उनमें होने वाले कैंसर पर बाल रोग विशेषज्ञों ने जानकारी साझा की। डॉ. आशुतोष वर्मा ने बताया कि बच्चों में मोटापा होने से बीएमआई बढऩे लगता है।
बच्चों को फास्ट फूड से दूर रहने की सलाह दें। इससे शरीर में इंसुलिन अच्छे तरीके से नहीं बन पाता है। इंसुलिन सही से काम नहीं करता है। डायबिटीज के लक्षण बढऩे लगते हैं। इसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहते हैं। शहरों में पांच फीसदी बच्चे मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीडि़त हैं।
ये करना चाहिए सेवन
डॉ. आशुतोष ने बताया कि माता-पिता व अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों के साथ ही पौष्टिक भोजन करें। ज्यादातर दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद और फल का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों को लगता है कि जो बड़े खा रहे हैं, वह सही है। वहीं, स्कूलों में लंच की जगह फूू्रट टाइम रखा जाना चाहिए।
सलाद व फलों को बढ़ावा देना चाहिए। चिकित्सा शिक्षा के पूर्व डीजी डॉ. वीएन त्रिपाठी ने बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए अभिभावकों को गोविंद (जीओबीआईएनडी) फॉर्मूला – जी- ग्रोथ, ओ- ओआरएस, बी-ब्रेस्ट फीडिंग, आई-इम्यूनाइजेशन, एन-न्यूट्रीशियन, डी-दवा, के बारे में बताया।
एक डोज में ही जापानी बुखार से बचाव
जापनी बुखार की चर्चा करते हुए डॉ. अनूप बाजपेयी ने कहा कि अभी तक हम लोग जापानी बुखार से बचाव पर उसके रोकथाम के वैक्सीन की दो डोज एक नियमित समय की अंतराल पर लगाते थे पर अब जापानी बुखार से बचाव के लिए अभी तक की सबसे उत्तम वैक्सीन आ गयी है। इस वैक्सीन का एक ही डोज जापानी बुखार से बच्चों का बचाव करेगा। सबसे बड़ी बात इस वैक्सीन की लागत भी आम आदमी के बजट के अंदर होगी।
बच्चों में दिल की बीमारी के ये हैं लक्षण
पेशाब में हो रहे संक्रमण रोगों पर इलहाबाद से आए डॉ. अनुभव श्रीवास्तव ने जानकारी दी। बच्चों में होने वाली टीबी पर दिल्ली के डॉ. एसके कावड़ा ने जानकारी दी। डॉ. दिनेश पांडेय ने बच्चों के इलाज में आ रही नई वैक्सीन्स के बारे में बताया। मुंबई से डॉ. शफी, डॉ. विपिन वशिष्ठ समेत अन्य लोग रहे।
बच्चों में बढ़ रही दिल की बीमारी यूपीपेडिकॉन कार्डियोलॉजी सेक्शन की वर्कशॉप डिवाइन हॉर्ट एंड मल्टीस्पेशियलिटी सेंटर के कांफ्रेंस हॉल में हुई। पीजीआई के कॉर्डियोलॉजी के पूर्व प्रमुख प्रो. एके श्रीवास्तवने बताया कि प्रदेश में कहीं भी जन्मजात बच्चों का बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि एक हजार में 8-16 बच्चों में दिल की बीमारी पाई जाती है। सांस फूलना, माथे पर पसीना, रोने पर नीला होना तथा उम्र के अनुसार वजन न बढऩा आदि दिल की बीमारी के लक्षण हैं।
डॉ. याचा को अवार्ड
पीजीआई के पीडियाट्रिक गेस्ट्रो के प्रमुख डॉ. एसके याचा को यूपीआईएपी की ओर से लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया। यूपीपेडिकॉन में डॉ. एसके याचा व डॉ. अंशुल अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे।