रायपुर। छत्तीसगढ़ के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आंखों का ऑपरेशन कराए पांच मरीज संक्रमण के शिकार हो गए। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल प्रबंधन ने उपचार संभव नहीं है, कहकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया और दूसरे अस्पताल में जाकर इलाज कराने की नसीहत भी दे दी। इससे एम्स की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
एम्स में आंखों की सर्जरी कराए मरीजों में रायपुरा के रामकुमार सोनी, डीडी नगर के तिलकराम पठारी, मोहबा बाजार के मानवेंद्र गोडवाल, योगेश पांडेय और कुशाल सिंह का ऑपरेशन 5 अप्रैल को हुआ था। 6 अप्रैल को इनकी आंखों में संक्रमण शुरू हुआ। इन मरीजों के आंखों की सर्जरी डॉ. लीति चक्रवर्ती ने किया था।
मरीजों के आंखों में संक्रमण के बाद जब डॉ. लीति स्वयं मरीजों को लेकर एक निजी अस्पताल जा रहीं थींए, तो अस्पताल अधीक्षक डॉ. अजय दानी ने कहा कि यह हमारे प्रोटोकॉल में नहीं है कि मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कराने स्वयं जाएं।
छत्तीसगढ़ एम्स में यह पहला मौका नहीं है जब मरीजों को सुविधाओं को टोटा बताकर अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया हो। इसके पहले भी पेट और किडनी के कई मरीजों के साथ भी यह बर्ताव एम्स प्रबंधन कर चुका है।
मरीजों का उपचार रायपुर के एक निजी नेत्र चिकित्सालय में शुरू हो गया है। आंखों की रोशनी को लेकर भी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है।
आंखों में संक्रमण के बाद अस्पताल प्रबंधन ने सर्जरी में उपयोग इंजेक्शन, सीरिंज, निडिल, ड्राप्स व लैंस को जांच के लिए एम्स के ही माइक्रो बायोलॉजी विभाग भेजा है। इसकी रिपोर्ट 48 से 72 घंटे में आने की संभावना है।