नई दिल्ली। मानसिक रोगियों के बारे में 47 प्रतिशत लोग मनचाही धारणा बना लेते हैं। ये लोग मानसिक बीमारी वाले लोगों के साथ सहानुभूति तो रखते हैं, लेकिन वे इनसे एक सुरक्षित दूरी भी रखना चाहते हैं। भारत में मानसिक बीमारी को 47 प्रतिशत लोग सामाजिक कलंक मानते हैं, जबकि 87 प्रतिशत लोग इसे गंभीर बीमारियों और उनके लक्षणों जैसे शिजोफ्रेनिया एवं ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिस्ऑर्डर से जोड़ते हैं।
टीएलएलएलएफ की 2018 की राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट भारत मानसिक स्वास्थ्य को किस निगाह से देखता है। जुलाई 2017 में शुरू किए गए पांच-माह के एक रिसर्च प्रोजेक्ट का नतीजा है, जिसमें आठ भारतीय शहरों के 3,556 लोगों को शामिल किया गया था। यह रिपोर्ट शुक्रवार को यहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य) संजीव कुमारए टीएलएलएलएफ की संस्थापक दीपिका पादुकोणए टीएलएलएलएफ के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की अध्यक्ष एना चैंडी और इसके ट्रस्टी डॉ. श्याम भट्ट ने जारी की।
दिमागी सेहत के बारे में लोगों की आम धारणा को मापने के लिए द लिव लव लाफ फाउंडेशन (टीएलएलएलएफ) द्वारा भारत मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह देखता है, जारी की गई एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 26 प्रतिशत लोग मानसिक बीमारी वाले लोगों से डरे हुए रहते हैं। वे न तो किसी मानसिक रोगी के निकट रहना चाहते हैं और न ही उनसे बातचीत करते हैं। बेंगलुरू और पुणे शहर के लोगों में ऐसी सोच ज्यादा देखने को मिली है। 27 प्रतिशत लोग मानसिक बीमारी वाले लोगों के प्रति समर्थन जताते हैं।