लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र का उद्घाटन रविवार को बड़े ही जोर-शोर से किया गया था। लेकिन जन औषधि केंद्र तीन दिन में औंधे मुंह गिर गई। बता दें कि यहां पर दवाओं का टोटा आ गया है। ऐसे में मरीजों को सस्ती दवा का लाभ तो नहीं मिला लेकिन झटका जरूर लग गया। केंद्र पर छूट वाली दवाएं न मिलने से लोग बाहर के मेडिकल स्टोर से ऊंचे दामों पर दवा खरीदने को मजबूर हैं।
दवा का संकट
गौरतलब है कि राजधानी के आठ अस्पतालों और ग्रामीण इलाकों के दो सीएचसी में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (जेनेरिक स्टोर) खोले गए हैं। यहां सभी स्टोर दवा के संकट से जूझ रहे हैं। दवा न मिलने से मरीज बाहर से दवा खरीदने को मजबूर हैं। बता दें कि सूची में स्टोरों पर 653 दवा उपलब्ध होने का दावा किया जा रहा है। यही नही 100 सर्जिकल आइटम भी कम दामों पर मिलना था, मगर ऐसा हुआ नहीं।
ब्रांडेड दवा लिख रहे डॉक्टर
जन औषधि केंद्र में दवाओं का टोटा देखते हुए डॉक्टर भी धड़ल्ले से ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं। मरीज के साथ आए तीमारदार भी क्या करे, मजबूरी में दवा लेने बाहर की तरफ मेडिकल स्टोर का रुख कर रहा है। उन्हें साल्ट नेम से दवा लिखने के निर्देश दिए गए हैं।