लखनऊ। 2 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय स्टेमी इंडिया 2018 का शुभारम्भ इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठïान में शनिवार शाम को हुआ। सेमीनार हॉल पूरी तरह से भरा था। यहां मुख्य अतिथि के रूप में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन थे। वहीं मंच पर प्रो. पद्यमश्री डॉ. मंसूर हसन, प्रो. थॉमस एलेक्जेण्डर, डॉ. अजीत मुलसारी, प्रो. वीएस नारयन मौजूद थे। यह कार्यक्रम हार्ट डिजीज को लेकर किया गया था। इस सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य है उत्तर प्रदेश राज्य में हार्ट अटैक टीम को स्थापित करके हृदयाघात प्रबंधन कार्यक्रम लागू करना है।
इस तरह का कार्यक्रम उत्तर भारत में पहली बार
प्रो. मसद हसन ने कहा कि यह स्टेमी इंडिया कार्यक्रम पहले तमिलनाडु में शुरू किया गया था। ऐसा पहली बार है कि इस तरह का कार्यक्रम उत्तर भारत में किया गया है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री प्रोफेसर (डॉ.) मंसूर हसन ने इस बात पर जोर दिया कि हृदय रोग के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए हर एक की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस बीमारी पर पा सकते हैं विजय
मुख्य अतिथि आशुतोष टंडन ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में हार्ट डिजीज बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमारी लाइफस्टाइल बदल चुकी है। अब ज्यादा लोग तनाव, डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। हार्ट डिजीज तीन दशक में तीन गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से ग्रामीण इलाके भी प्रभावित हो रहे हैं। हार्ट डिजीज ग्रामीण इलाकों में जहां 6 फीसदी थी वहां अब यह बढ़कर 6 फीसदी हो गई है। वहीं शहरी इलाकों में 4 की जगह 12 फीसदी हो गया है। स्टेमी इंडिया प्रोग्राम से इस बीमारी पर विजय पाया जा सकता है।
जागरुकता बहुत जरूरी
मुख्य अतिथि आशुतोष टंडन ने कहा कि हार्ट अटैक का पहला घंटा बहुत मायने रखता है। सही समय पर डॉक्टर से संपर्क कर जान बचाई जा सकती है। इस प्रोग्राम के माध्यम से हार्ट अटैक को पहचानने के लिए जागरुकता और तुरंत नजदीकी अस्ताल में पहुंचना बहुत जरूरी है। यही जागरुकता मृत्यु दर में कमी लाएगी। उन्होंने कहा कि करीब हार्ट से पीडि़त 6 करोड़ लोगों में 40 साल से कम उम्र के लोग भी आ रहे हैं।
30 लाख रोगियों में केवल 2 फीसदी को समय पर उपचार
आयोजक सचिव, कोर्स डायरेक्टर, और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर (डॉ) ऋषि सेठी ने बताया कि यदि स्टेमी रोगी को 90 मिनट के अन्दर उचित उपचार मिल सके तो उसकी जान बच सकती है। भारत में हर साल स्टेमी से पीडि़त 30 लाख रोगियों में से केवल 2 फीसदी को समय रहते उचित उपचार मिल पाता है। अधिकांश स्थितियों में रोगी को अस्पताल पहुंचने में ही 300 मिनट लग जाते हैं।
13 नए मेडिकल कॉलेज
टंडन ने कहा कि आज के दौर में ईलाज महंगा हो गया है। केंद्र सरकार की योजना पीएसयू में 50 से 90 फीसदी तक की छूट दी जा रही है। रोटी, कपड़ा और मकान के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य भी जरूरी है। हमारी सरकार स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता में लेती है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार 13 नए मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है।
यह कहा डॉक्टर ने
केजीएमयू के हृदय रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. अक्षय प्रधान और डॉ. प्रवेश विश्वकर्मा ने बताया कि इस सम्मलेन में भारत व अन्य देशों से आये हुए लगभग 750 विशेषज्ञ एवं प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मलेन में स्टेमी दिल के दौरे के प्रबंधन में सुधार करने के आशय से अनेक प्रशिक्षण शिविर व कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इनमें दिल के दौरे के रोगी की देखभाल में भूमिका निभाने वाले विभिन्न व्यक्तियों, जैसे इमरजेंसी रूम डॉक्टर, हृदय रोग विशेषज्ञ, कार्डियक कैथीटेराइजेशन तकनीकि टीम, नर्स, आदि को व्यापक प्रशिक्षण दिया गया है।
ये हुए सम्मानित
कार्यक्रम में शामिल डॉक्टरों को उनके बेहतर कार्य के लिए शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसमें डॉ. संजय सिंह, डॉ. शारदा नारायण, डॉ. हरेंद्र देव सिंह, डॉ. एसपी वर्मा, डॉ. प्रेम प्रकाश पटेल, डॉ. अरुण कुमार जायसवाल, डॉ. एफबी सिंह, डॉ. बीके सिंह, डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव, डॉ. आरए वर्मा, डॉ. पियूष सक्सेना, डॉ. विनीत गर्ग, डॉ. विनोद कुमार नेठानी, डॉ. साजिद अंसारी शामिल थे।
मृत्यु दर में गिरावट
तमिलनाडु में स्टेमी इंडिया ने आईसीएमआर (इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च/ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद) के साथ मिलकर इस मॉडल के प्रभावकारी असर को परखने के लिए एक वर्षीय पायलट शोध किया, जिसके बहुत सफल परिणाम मिले हैं। इस स्टेमी इंडिया मॉडल को लागू करने के बाद, स्टेमी दिल के दौरे की समय रहते पक्की जांच और समोचित इलाज की वजह से, रोगियों में इससे होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर में गिरावट आई।