लखनऊ। भारत में शहरी इलाकों में 80 फीसदी लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। इससे हड्डियां कमजोर हो रही हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में विटामिन डी की कमी से कुछ ही लोग प्रभावित होते हैं। विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए शरीर का 30 फीसदी हिस्सा करीब डेढ से दो घंटे तक सूर्य के प्रकाश में होना चाहिए।
बीएमडी जांच
उक्त बातें उत्तर प्रदेश आर्थोपेडिक संघ के सचिव डॉ. अनूप अग्रवाल ने रविवार (4 अगस्त) को बोन एण्ड ज्वांइट दिवस पर कही। सीतापुर रोड स्थित सुश्रुुत अस्पताल में बोन मैरो डेनसिटी (बीएमडी) कैम्प का आयोजन किया गया था। यह कैम्प सुबह 9 बजे से दोपहर ढाई बजे तक किया गया। इस दौरान कैम्प में करीब 150 लोगों की बोन मैरो डेनसिटी की जांच की गई। सभी मरीजों को जांच के बाद दवाइयों का वितरण और जरूरी परामर्श दिया गया।
25 में से 21 मरीजों में विटामिन डी की कमी
डॉ. अनूप अग्रवाल ने बताया कि इन्ही मरीजों में से 25 मरीजों का विटामिन डी भी टेस्ट किया गया। जांच में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। 25 में से 21 मरीजों में विटामिन डी की कमी पाई गई। इन्हें भी दवाइयां दी गईं।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
डॉ. अनूप अग्रवाल ने बताया कि विटामिन डी हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है, जो तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। विटामिन डी के लक्षण एकदम उभर कर सामने नहीं आते, इसी वजह से लोगों को समय पर विटामिन डी की कमी से होने वाले रोगों का पता ही नहीं चल पाता। इसलिए विटामिन डी की नियमित जांच और विटामिन डी युक्त भोजन लेना जरूरी है।