लखनऊ। मरीजों की सेवा और उनका जीवन बचाने में 108 एम्बुलेंस बेहतर भूमिका निभा रही है। इसका लाभ अब तक सवा करोड़ मरीज उठा चुके हैं। यह फायदा शहरी इलाकों और ग्रामीण इलाकों के लोगों को मिल चुकी है। एम्बुलेंस लगातार दौड़ रही है और मरीजों की जान बचा रही है। यह जानकारी जीवीकेईएमआरआई के महाप्रबंधक किशोर नायडू ने दी है।
सबसे ज्यादा प्रसव मामले में सुविधा
यूपी में 108 एम्बुलेंस सेवा के सात साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम में आंकड़े पेश किए गए। महाप्रबंधक किशोर नायडू ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 14 सितंबर 2012 को 108 एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत हुई थी। इस समय 2200 एम्बुलेंस हैं। इसमें सड़क दुर्घटना के 1225653, सांस में तकलीफ के 456664, ह्रदय रोग के 331221, पेट दर्द के 1297983, प्रसव सम्बंधित 6249610, मधुमेह के 17885 तथा अन्य इमेरजेंसी के 3570114 लाभार्थी शामिल हैं।
एम्बुलेंस में अब तक 18219 प्रसव
संस्था के मीडिया सलाहकार आनंद दीक्षित ने बताया कि सड़क हादसे, सांस लेने में तकलीफ, दिल, पेट में दर्द व इमजरेंसी में मरीजों को समय पर नजदीक के अस्पताल पहुंचाया। 108 एम्बुलेंस में अब तक 18219 प्रसव कराए गए। वहीं एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने घर पर 74354 प्रसव कराए।
नवम्बर तक पूर्णत: पेपर लेस हो जाएगी 108 एम्बुलेंस सेवा
पर्यावरण को बचाने के दिशा में भी एम्बुलेंस सेवा 108 अपना योगदान दे रहीं हैं। इन सेवाओं की प्रदेश भर में तैनात सभी 2200 एम्बुलेंस में स्टॉफ को एंड्रॉयड मोबाइल फ़ोन उपलब्ध कराये गए हैं। जिसके बाद एम्बुलेंस से जुडी रिपोर्टिंग, स्टाफ की स्थिति, सहित अन्य दैनिक कार्य इसी आधुनिक फोन के जरिये किये जा रहे हैं। नवम्बर 2019 तक एम्बुलेंस सेवा को पेपर लेस करने का लक्ष्य रखा गया है।
क्या है 108
108 टोल फ्री नम्बर है। आनंद दीक्षित के मुताबिक इसका उपयोग एम्बुलेंस से लिया किया जा सकता है। इससे मरीज को मुफ्त एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी।
कब डायल करें 108 नंबर
– दिल का दौरा (हार्ट अटैक ) पडऩे पर
– तेज पेट दर्द, सांस में तकलीफ होने पर
– सड़क हादसे की दशा में
-अचानक बेहोश होने पर।
– आग लगने, फायर बिग्रेड और एम्बुलेंस की आवश्यकता पर फोन कर सकते हैं