डेस्क। डॉक्टरों के मुताबिक काला मोतियाबिंद एक ऐसा रोग है जिसे साइलेंट किलर कहा जाता है। यह रोग 40 साल की उम्र के बाद हर 20 में से एक व्यक्ति को होने की संभावना रहती है। काला मोतियाबिंद रोग होने का खतरा उन लोगों को अधिक रहता है जिनके परिवार में यह बीमारी किसी को हो चुकी हो।
अक्सर लोग ऐसी गलत धारण पाल कर रखते हैं कि काला मोतियाबिंद होने पर उनकी आंखों की रोशनी चली जाएगी लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आप समय पर इस बीमारी के लिए गंभीर हो जाएं और इलाज कराएं तो रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। इस बीमारी में एक बार आंख की रोशनी चली जाने के बाद उसे वापस नहीं लाया जा सकता है।
यह बीमारी आंखों में दबाव बढऩे से जुड़ी हुई है। हमारी आंखों में एक तरल पदार्थ भरा होता है जिससे आंखों का आकार बनाए रखने में मदद मिलती है और लैंस तथा कार्निया को पोषण मिलता है। ऐसे में मरीज की आंखों से तरल पदार्थ ठीक से बाहर नहीं निकल पाता। नर्व कोशिकाएं मरती जाती हैं और इसके साथ-साथ दृष्टिहीनता भी बढ़ती जाती है।