लखनऊ। स्वाइन फ्लू तेजी से अपना पांव पसार रहा है अगर आपको इससे बचना है तो काढ़ा पीजिए। लगातार स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचाने हो तो काढ़ा का सेवन फायदेमंद है। स्वाइन फ्लू वायरस सर्दी व धुंध में तेजी से फैलता है। यह जानकारी विवेकानंद हॉस्पिटल में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. विजय सेठ ने दी है।
ऐसा करें और इन्हें बचाएं
वायरस से बचने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगह जाने से बचें। एक-दूसरे से हाथ मिलने से बचें। इसके अलावा तुलसी व दालचीनी से तैयार काढ़ा का सेवन सुबह, दोपहर और शाम को कर सकते हैं। इससे स्वाइन फ्लू का वायरस का प्रभाव नहीं पड़ेगा। काढ़ा साथ ही प्लेटलेट्स काउंट को दुरुस्त रखता है। गुनगुना पानी, नारियल और दाल का पानी का खूब सेवन करना चाहिए। जिन लोगों को सांस की बीमारी दमा, दिल, लिवर, न्यूरोलॉजी की बीमारी है, उन्हें ज्यादा खतरा होता है। डायबिटीज के मरीज, गर्भवती महिलाओं, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी दिक्कत होती है।
गले में होती है खराश
आयुर्वेदिक कॉलेज के डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि स्वाइन फ्लू सांस के जरिए फैलने वाला संक्रमण है। वायरस सबसे पहले सांस की नली पर करता है। गले में दर्द व खराश होने लगती है। संक्रमण से मरीज को तेज बुखार आ जाता है। सिर में दर्द व जुखाम आदि की चपेट में मरीज आ जाते हैं।
लक्षण
स्वाइन फ्लू में मरीज को सर्दी, जुकाम, गले में खरास एवं बुखार होता है। आंखों में तेज जलन, पानी आता है। गले में दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है।
ऐसे बरतें सावधानी
आपको बुखार आया हो तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहें। लगातार पानी पीते रहे, जिससे डिहाईड्रेशन न हो सके। जहां तक संभव हो फेसमास्क पहनें। छींकते समय टिशू पेपर से नाक को ढके, फिर उस पेपर को कचरे में फेंकने के बजाए सावधानी से नष्ट कर दें। हाथों को लगतार साबुन से धोते रहें। घर, ऑफिस के दरवाजों के हैंडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहे। यदि आपको जुकाम के लक्षण दिखाई देते हैं तो घर से बाहर ना जाएं। दूसरों के नजदीक न जाएं।
वहीं होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. एमबी सिंह का कहना है कि होम्योपैथिक में कई दवाएं है, जिनका डॉक्टर की सलाह पर सेवन कर स्वाइन फ्लू संक्रमण से बच सकते हैं। यदि स्वाइन फ्लू का संक्रमण हो गया है तो उससे छुटकारा भी पाया जा सकता है। होम्योपैथिक दवाओं से रोगों से लडऩे की ताकत बढ़ाई जा सकती है। दवाएं एच1एन1 वायरस पर भी वार करती हैं।