कम दाम पर मिलेंगी एसजीपीजीआई जैसी सुविधाएं
लखनऊ। सपा सरकार द्वारा अपने ड्रीम प्रोजेक्ट लोहिया संस्थान को शुरू करने के पीछे की मंशा थी कि इसमें एसजीपीजीआई जैसी सारी सुविधाएं कम दाम पर गरीब मरीजों को उपलब्ध हो सकें। मरीज भी लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान खुलने से बहुत खुश थे कि अब उन्हें पीजीआई नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन सालों बीतने के बाद भी गरीब मरीजों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा था। लेकिन लोहिया संस्थान में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होने के साथ ही संस्थान व अस्पताल के विलय की अधिकारिक घोषणा के बाद स्थितियां सुधरने की बात कही जा रही है। लोहिया संस्थान व अस्पताल के विलय के बाद लगभग 20 विभागों की इमरजेंसी शुरू हो जायेगी। इतना ही नहीं संस्थान में मरीजों को भर्ती करने के लिए 1500 के लगभग बेड भी मौजूद होंगे। यदि लोहिया संस्थान की इमर्जेन्सी सेवा शुरू हो जाय तो लोहिया अस्पताल और ट्रामा सेन्टर का भार कम हो सकता है। अब देखने वाली बात यह है कि विलय को हरी झड़ी मिलने के बाद अधिकारी कब तक इसको अमलीजामा पहनाते हैं।
लोहिया संस्थान का पंजीकरण शुल्क महंगा
जानकारों की मानें तो लोहिया संस्थान का रजिस्ट्रेशन शुल्क अधिक होने के कारण गरीब आदमी उसमें इलाज कराने से कतराता है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल और राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट मर्ज होने के बाद दोनों संस्थानों के पर्चे का शुल्क कैसा होगा है। मौजूदा समय में अस्पताल और संस्थान के पर्चो का मूल्य भी अलग .अलग है। इतनी ही नहीं लोहिया अस्पताल का पर्चा लोहिया संस्थान में मान्य भी नहीं है। लोहिया अस्पताल में पंजीकरण शुल्क एक रूपया है तो लोहिया इंस्टीट्यूट में पंजीकरण शुल्क 100 रूपये है। इस कारण गरीब मरीज लोहिया संस्थान जाने से कतराते हैं।
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. दीपक मालवीय का कहना है कि पंजीकरण शुल्क एक रुपये कर दिया जाये तो मरीजों को उच्च स्तर की सुविधाएं देना मुश्किल है। दूसरी बात यह है कि ऐसा करने से संस्थान के हालात भी अन्य अस्पतालों जैसे हो जायेेंगे। इसलिए बीच का विकल्प निकालकर उचित पंजीकरण शुल्क कर दिया जाय या फिर प्राइमरी केयर तथा सेकेण्डरी केयर वाले मरीजों का इलाज मुफ्त कर दिया जाय। लेकिन जो मरीज टेट्रीकेयर वाले हैं, उनका शुल्क वर्तमान समय के ही हिसाब से रहे। इससे लोहिया संस्थान की व्यवस्था भी प्रभावित नहीं होगी और मरीजों को भी फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि लोहिया संस्थान में अस्पताल के विलय के बाद मरीजों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं शुरू की जाएंगी। इसमें सभी तरह के मरीजों को भर्ती किया जाएगा। अभी लोहिया संस्थान में कॉर्डियोलॉजी व न्यूरोलॉजी की इमरजेंसी चल रही है। इससे इतर आने वाले मरीजों को दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी जा रही है। लोहिया संस्थान में 350 बेड हैं। 126 डॉक्टर तैनात हैं। 105 जूनियर व सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर हैं। संस्थान की ओपीडी में 2000 से ज्यादा मरीज रोज आ रहे हैं। वहीं कॉर्डियोलॉजी व न्यूरो की ओपीडी का ही संचालन हो रहा है। वहीं दूसरी बीमारी से पीडि़त मरीजों को बिना इलाज लौटाया जा रहा है। रोजाना 30 से अधिक मरीजों को इमरजेंसी से बिना इलाज लौटाया जा रहा है। इसकी वजह से दूर-दराज से आने वाले गंभीर मरीजों को खासी दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है।