लखनऊ। मधुमेह आज के समय में तेजी से पैर पसार रहा है। समय रहते ही इस पर नियंत्रण जरूरी है। ज्यादा प्यास, ज्यादा भूख, ज्यादा बार पेशाब एवं बिना कारण वजन का कम होना मधुमेह के लक्षण हो सकते है। मोटापे को कन्ट्रोल कर डायबिटीज की संभावना को कम किया जा सकता है। उक्त बातें मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. सुदीप सरकार ने कही।
डॉ. सुदीप जानकीपुरम में हैनीमैन हाल, ह्यूमन क्योर सेन्टर में आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए। यह संगोष्ठी होम्योपैथिक साइंस कांग्रेस सोसाइटी एवं आरोग्य रिसर्च फाउण्डेशन के तत्वावधान में आयोजित की गई थी।
डॉ. अनुरूद्ध वर्मा ने कही ये बात
केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य डॉ. अनुरूद्ध वर्मा ने कहा कि अनियमित जीवन शैली, अनियमित खानपान, तनाव एवं आलसीपन, मधुमेह को बढ़ावा दे रहा है और गैर संक्रामक रोगों में सबसे ज्यादा रोग मधुमेह से असमय मौत का शिकार होते है। उन्होंने कहा कि इसका शरीर के हर अंग पर असर पड़ता है। इससे हार्ट अटैक, लकवा, अन्धापन एवं नसों की जटिलतायें हो सकती है।
उप्र होम्योपैथी के पूर्व निदेशक डॉ. प्रो. बीएन सिंह ने कहा कि मधुमेह से बचाव के लिये नियमित जीवन शैली जरूरी है।
संतुलित भोजन करें
राज्य आयुष मिशन के परियोजना प्रबन्धक अरविन्द शर्मा ने आयुष मिशन के बारे में जानकारी दी। केजीएमसी की डायटिशियन डॉ. संध्या सिंह ने डायबीटिज के मरीज को दिये जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी दी और बताया कि संतुलित भोजन से डायबिटीज को रोका जा सकता है। वरिष्ठ होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ. नरेश अरोरा ने बताया कि डायबिटीज से होने वाली जटिलताओं को नियंत्रित करने में होम्योपैथिक दवाईयां बहुत प्रभावी है।
योग भी है कारगर
योग विशेषज्ञ डॉ. सुनील दत्त तिवारी ने कहा कि सूर्य नमस्कार, मण्डुक आसन, अद्र्ध मतस्य आसन डायबिटीज के नियंत्रण एवं रोकथाम में प्रभावी है। अतिथियों का स्वागत रिसर्च सेन्टर के निदेशक डॉ. ओपी श्रीवास्तव तथा संचालन डॉ. सुगन्धा श्रीवास्तव ने किया। संगोष्ठी को डॉ. एसडी सिंह, डॉ. अविनाश श्रीवास्तव, डॉ. आशीष वर्मा, डॉ. निशान्त श्रीवास्तव, डॉ. यूबी त्रिपाठी, डॉ. वीके गुप्ता आदि ने सम्बोधित किया।