खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान का हुआ प्रशिक्षण
लखनऊ। मुख्य चिकित्साधिकारी सभागार में खसरा रूबेला टीकाकरण अभियान की जिला टास्क फोर्स की मीटिंग हुई। इसमें जिले के सभी ब्लॉक रिसोर्स समन्वयक (बीआरसी) व असिस्टेंट ब्लॉकरिसोर्स समन्वयक (बीआरसी) को अभियान के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।
इसमें मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ. सुरभि त्रिपाठी, डॉ. पुनीत, सौरभ अग्रवाल और जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी योगेश रघुवंशी ने प्रतिभाग किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लें शिक्षक
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि कोई भी अभियान बिना सहयोग के पूरा नही हो सकता है। शिक्षक सभी जागरुकता/प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लें। समय व स्थान का चुनाव करने में सहयोग करें। जिन बच्चों का टीकाकरण होना है उनकी सूची तयार करें। प्रत्येक विद्यार्थी को उसके अभिभावकों के लिए खसरा रूबेला सूचना पत्र दें।
ऐसा है शेड्यूल
प्रशिक्षण में डॉ. सुरभि ने बताया कि अभियान 5 सप्ताह चलेगा। पहले 2 सप्ताह स्कूलों में, अगले 2 सप्ताह फील्ड में, समुदाय में गांव में, वार्ड में और अगले एक सप्ताह छूटे हुये बच्चों में टीकाकरण किया जाएगा। यह टीका 9 माह 15 साल तक के बच्चों को लगाया जाएगा। स्कूलों को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि 2 तिहाई बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं। लगभग 4500 स्कूलों में यह अभियान चलाया जाएगा। स्कूलों में प्रधानाध्यापक के साथ एक शिक्षक को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
एक समय में एक बच्चे को ही टीका
स्कूल में एक अलग से टीकाकरण के लिए कक्ष आवंटित किया जाएगा क्योंकि एक समय में एक बच्चे को ही टीका लगे। अभिभावक, शिक्षक बैठक के माध्यम से अभिभावकों को इस अभियान के बारे में जागरूक किया जाएगा। यदि उनकी कोई शंका है तो इसके लिए क्षेत्र के संबन्धित चिकित्साकर्मी से उनकी बात कराई जाएगी। कोई भी बच्चा छूटे नए शत प्रतिशत टीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।
शीशी को खोलने के 4 घंटे के भीतर ही करना है उपयोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पुनीत ने बताया कि वैक्सीन की एक शीशी को खोलने के 4 घंटे के भीतर ही इसका उपयोग कर लेना है जो भी चिकित्सकर्मी/ एएनएम शीशी को खोलेगा, वह खोलने का समय और दिनांक उस शीशी पर लिख देगा। शीशी पर लिखे समय के 4 घंटे के अंदर ही उस शीशी का उपयोग कर लिया जाएगा।
खाली पेट नहीं लगेगा टीका
यूनिसेफ से सौरभ अग्रवाल ने बताया कि टीकाकरण के दिन कोई भी बच्चा खाली पेट स्कूल न आए। बच्चों को टीका खाली पेट नहीं लगना है। हर बच्चे को टीका लगने के बाद आधे घंटे ओब्सरवेशन में रखना है। इसके लिए बच्चों को किसी गतिविधि में शामिल करें ताकि बच्चे इंजेक्शन लगने की बात भूल जाएं। यह जिम्मेदारी शिक्षकों कि है। टीकाकरण प्रशिक्षित चिकित्सकर्मी द्वारा ही लगाया जाएगा। आटो डिसेबल सूईयों का उपयोग किया जाएगा। यदि टीकाकरण के बाद किसी बच्चे कि तबीयत खराब हो जाती है तो उसे निकट के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं इसके लिए स्कूलों में वाहन कि उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है।
ये हैं लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ. सुरभि त्रिपाठी ने बताया कि खसरा एक जानलेवा रोग है, कान के पीछे और गर्दन में सूजी हुयी ग्रंथियां सबसे विशिष्ट लक्षण हो सकते हैं। गर्भावस्था में आरंभ में रूबेला वायरस से संक्रमित हो गयी स्त्री में जन्मजात रूबेला सिंड्रोम विकसित हो सकता है जो उसके गर्भ में पलने वाले भ्रूण और नवजात शिशु के लिए बेहद गंभीर हो सकता है। इनमें से बहुत से रोग जीवन भर के लिए विकलांग बना सकते हैं।